Sunday, May 5, 2024
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हरियाणा में टमाटरों की कीमतों में लगी आग, इस वजह से दोगुने हुए दाम

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हरियाणा में टमाटर के दाम में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। बाजार में एक किलो टमाटर के दाम 80 से 120 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। आजदपुर सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा से टमाटर की सप्लाई न के बराबर हो रही है। इससे कीमत में दो दिन में ही दोगुनी हो गईं।

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रोहतक। हरियाणा में गर्म मौसम का असर अब आम लोगों की जेब पर भी दिखने लगा है। पिछले सप्‍ताह के दौरान देश के कई हिस्‍सों में टमाटर के दाम बढ़कर दोगुने हो गए। इससे आम जनता का बजट बिगड़ गया है। वहीं, कई लोगों ने कीमत ज्यादा महंगा होने के चलते टमाटर खाना छोड़ दिया है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में टमाटर की कीमतें में और तेजी आ सकती है।

अधिकांश इलाकों में रिटेल मार्केट में इसकी कीमत 80 से 120 रुपये पहुंच गई है जबकि होलसेल मार्केट में यह 65 से 70 रुपये किलो मिल रहा है। इस हफ्ते पहले होलसेल मार्केट में इसकी कीमत 30 से 35 रुपये थी। इस तरह एक हफ्ते में टमाटर की कीमत दोगुनी हो गई है। उत्पादन में अचानक आई कमी के कारण टमाटर की कीमत में तेजी आई है।

कहा जा रहा है कि उत्पादन में अचानक गिरावट आने से कीमत में बढ़ोतरी हुई है। भीषण गर्मी और लू की वजह से कई राज्यों में टमाटर के पौधे झुलस गए. ऐसे में उत्पादन में कमी आने से मार्केट में टमाटर की आवक प्रभावित हो गई, जिससे कीमतें अचनाक सातवें आसमान पर पहुंच गईं। साथ ही बारिश की वजह से भी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।

दरअसल भीषण गर्मी, बारिश में देरी और किसानों की उदासी से टमाटर की कीमत बढ़ी है। मई में टमाटर की कीमत तीन रुपये किलो रह गई थी। इस कारण किसानों ने टमाटर उगाने से परहेज किया है। लागत नहीं मिलने का कारण कई किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था।

आजादपुर मंडी के आढ़ती ने बढ़ी कीमतों के बारे में कहा कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से टमाटर की आपूर्ति कम हो गई है। अब हम बेंगलुरु से टमाटर ले रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हाल ही में हुई बार‍िश के दौरान जमीन पर मौजूद टमाटर के पौधे क्षतिग्रस्‍त हो गए हैं। टमाटर में होने वाले नुकसान के कारण किसानों ने इस फसल की देखभाल करना भी बंद कर दिया है।

किसान अजय ने कहा कि पिछले कुछ माह में घटती कीमतों की वजह से किसानों को बहुत नुक्सान हुआ जिस वजह से किसानों ने कीटनाशकों का छिड़काव नहीं किया या उर्वरकों का उपयोग नहीं किया। इससे कीट और बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया और उत्पादन में गिरावट आई है। ऐसे में कीमतें गिरने पर किसान टमाटर की कटाई और परिवहन की लागत नहीं निकाल सके। इस कारण किसान अपनी उपज फेंकने या फसल के बीच ट्रैक्‍टर चलाकर फसल हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उम्‍मीद की जा रही है कि आने वाले हफ्ते में कीमतें कम हो सकती हैं, क्‍योंकि कई नई जगहों से फिर से टमाटर की फिर से खेती शुरू होने वाली है। जून के पहले हफ्ते तक टमाटर की कीमत काफी कम थी। हम यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में क्या कीमत होगी। उम्मीद है कि जल्दी ही कई नए इलाकों से टमाटर की सप्लाई शुरू होगी। वहीं अगर हिमाचल प्रदेश और अन्‍य जगहों पर भारी बारिश होती है तो कीमतें स्थिर रह सकती हैं।

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