Punjab, कई वर्षों से बेअदबी के मामले में लंबित बिलों दोषियों को सजा के प्रवधान पर बिल फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। पंजाब में मान सरकार ने बेअदबी के मामलों के दोषियों को उम्रकैद की सजा देने का प्रावधान वाले दो बिल पारित कर राष्ट्रपति की मंजूरी को भेजे थे लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में पंजाब सरकार को जवाबी पत्र लिखकर कहा है कि पारित बिलों में सजा का प्रावधान कुछ ज्यादा है।
केंद्र सरकार की आनाकानी के बाद सीएम भगवंत मान ने अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा और पंजाब सरकार द्वारा पांच साल पहले बेअदबी के मामले में पारित दोनों बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाने का आग्रह किया।
सीएम मान ने गृह मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। इसके बाद यह महसूस किया गया था कि धार्मिक ग्रंथों के बेअदबी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 295 और 295-ए के तहत निर्धारित सजा अपर्याप्त है।
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इसलिए पंजाब विधानसभा ने दो बिल- ‘द इंडियन पैनल कोड (पंजाब संशोधन) बिल 2018’ और ‘द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (पंजाब संशोधन) बिल 2018’, जिनमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद्भगवत गीता, पवित्र कुरान और पवित्र बाइबल की बेअदबी, नुकसान पहुंचाने या फाड़ने की घटनाओं के दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया था।
मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी लिखा, उक्त बिलों के जरिये किए गए संशोधन हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप है। ये बिल अक्तूबर 2018 से राष्ट्रपति की सहमति के लिए लंबित हैं। हालांकि अब हमें आपके मंत्रालय से यह कहते हुए प्रतिक्रिया मिली है कि प्रस्तावित सजा अत्यधिक प्रतीत होती है।