Friday, May 17, 2024
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रोहतक में गजानन के स्वागत की तैयारी में जुटे भक्त, 19 सितंबर को पधारेंगे बप्पा

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मूर्तिकारों ने गणेशोत्सव को लेकर कई प्रयोग किये गए है। इस बार हरियाणवी पगड़ी और रामदरबार पैटर्न पर तैयार मूर्तियों से शहर के पंडाल सजेंगे। कोलकाता और राजस्थान से लाई मिट्टी, वाटर कलर से ईको फ्रेंडली बप्पा की मूर्तियां बनाई जा रहीं हैं।

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रोहतक। रोहतक सिटी में गणपति महोत्सव की रौनक दिखनी अभी से शुरू हो गई है हालांकि 19 सितंबर को बप्पा पधारने वाले हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार रोहतक में ईको फ्रेंडली गणेशोत्सव मनाने काे लेकर ज्यादा क्रेज दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि लोगों की डिमांड को देखते हुए दुकानदारों ने भी पहली बार कोलकाता से कच्ची और पक्की मिट्टी से बनी बप्पा की मूर्तियों की अच्छी रेंज मंगवाई हैं। शहर में मूर्ति कलाकार भी बप्पा की छोटी और बड़ी मूर्तियों को तैयार करने में जुटे हैं।

रोहतक के लोगों को पहले श्रद्धालुओं को मिट्टी और इको फ्रेंडली गणेश जी घर लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। इस बार उन्हें इस तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। पहली बार शहर में ही हरियाणवी पगड़ी, रामदरबार, लाल बाग के राजा, दगड़ सेठ और बंगाली पैटर्न पर भगवान श्री गणेश जी की मिट्टी से बनी मूर्तियां मिलने वाली हैं। यह मूर्तियां स्टाइलिश होने के साथ पर्यावरण के अनुकूल हैं। इनमें प्लास्टर आफ पेरिस नहीं बल्कि पीली मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। गणेशोत्सव को लेकर राजस्थान के कारीगर परिवारों ने जींद रोड पर मिट्टी से सभी छोटे-बड़े साइज में लगभग 2500 मूर्तियां तैयार की हैं।

मिटटी से बने गणपति

मूर्तिकार शंकर ने बताया कि लगभग छह महीने में 25 कारीगरों की सहायता से ये मूर्तियां तैयार की गई हैं। इस बार पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा डिमांड है। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने के मिट्टी और कलर सहित अन्य सामग्री का उपयोग होता है, जो अलग-अलग राज्यों और शहरों से लाना पड़ता है। इसमें कोलकाता और राजस्थान की मिट्टी व दिल्ली से वाटर कलर का प्रयोग कर ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं, जिसमें 8 इंच की मूर्ति से लेकर 15 फीट की मूर्तियों का निर्माण किया है। वहीं साइज के अनुसार ही 200 रुपए से लेकर 20 हजार रुपए की मूर्तियां तैयार की हैं।

मूर्तिकार इस बार गणपति की छोटी और बड़ी मूर्तियों को तरह-तरह की डिजाइन में ढाला है। इनमें रथ पर सवार, हरियाणवी पगड़ी, दगडू सेठ, राजगद्दी, राममंदिर, लाल बाग के राजा, मूषक सवारी, शिवलिंग, कमल फूल पर और पिकॉक स्टाइल वाले गणेश जी तैयार किए जा रहे हैं। जो दिखने में बेहद आकर्षक है। मूर्तिकार शंकर ने बताया कि कि इस बार खासतौर पर छोटी मूर्तियों में लाल बाग के राजा, राम मंदिर की मूर्तियां और हरियाणवी स्टाइल में तैयार बप्पा की मूर्तियों की डिमांड ज्यादा है।

मूर्तिकार इस बार ऑयल पेंट की जगह वाटर कलर इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं। छोटी मूर्तियों में मिट्टी और बड़ी मूर्तियों में घास और नारियल के ऊपरी छिलके का उपयोग किया जा रहा है। पर्यावरण को देखते हुए अबकी बार ईको फ्रेंडली मूर्तियां ज्यादा तैयार कर रहे हैं। ईको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियों में भी एक्सपेरिमेंटस किए गए हैं। गणपति की मूर्तियों को कच्चे रंगों से रंगने के साथ हैंडवर्क किया जा रहा है। खासतौर से उनकी सूंड, कान और आंख को गोटा, स्टोन, कपड़े, सितारे और पगड़ी से अट्रैक्टिव बनाया जा रहा है। इस बार जिन लोगों ने पहले बुकिंग कराई है, उन्होंने अपने मुताबिक डिजाइन तैयार कराए हैं। उनकी मूर्तियों को वैसा ही स्वरूप दिया जा रहा है।

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