कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक ठप रही तमाम सेवाओं का खामियाजा एक नवविवाहित को भी उठाना पड़ा। पासपोर्ट के अभाव में हनीमून ट्रिप कैंसिल करने को मजबूर हुए इस शख्स ने चंडीगढ़ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। कंप्लेन पर सुनवाई के बाद उपभोक्ता आयोग ने पासपोर्ट कार्यालय को लापरवाही का दोषी पाया। अब इस शख्स को हर्जाना मिलेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक अंकित सिंगला के पासपोर्ट की वैधता करीब चार साल पहले समाप्त होने वाली थी। उन्होंने नया पासपोर्ट निर्गत करने के लिए आवेदन किया। चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यालय में 17 दिसंबर, 2019 को आवेदन के बाद सात जनवरी, 2020 को अंकित को ई-मेल से जवाब मिला। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से मिली ट्रैकिंग आईडी से उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली।
पासपोर्ट जैसे अहम दस्तावेज के अभाव में अंकित को अपना हनीमून ट्रिप कैंसिल करना पड़ा। समय रहते पासपोर्ट रिन्यू होकर वापस नहीं मिलने से परेशान अंकित ने थक हारकर चंडीगढ़ उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंचे। उन्होंने कहा कि वह पेशेवर वेब डिजाइनर हैं और ऑस्ट्रेलिया जाना चाहते थे। वहां उनके भाई का परिवार भी रहता है। अंकित के मुताबिक वह अपनी पत्नी और मां के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने की योजना बना रहे थे। इसलिए उन्होंने पासपोर्ट रिन्यू करने का आवेदन किया। हालांकि, पासपोर्ट कार्यालय की लापरवाही के कारण उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी।
अंकित ने बताया कि उन्होंने पासपोर्ट कार्यालय से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर डाक विभाग से भी संपर्क किया, लेकिन उनका पासपोर्ट वापस नहीं मिला। सिस्टम से खफा अंकित उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग पहुंचे और हर्जाने की मांग की। अब अदालत ने फरमान सुनाया है कि पीड़ित को 10 हजार रुपये का भुगतान किया जाए। साथ ही आयोग ने याचिकाकर्ता को मुकदमा खर्च के तौर पर भी 10 हजार रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए है।