Saturday, May 18, 2024
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यूं मिले कांग्रेस और बीजू जनता दल के सुर

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बीजेडी एमपी अच्युत सामंत के KG टू PG माडल से राहुल गांधी हुए प्रेरित !

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नई दिल्लीः  राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की एक चुनावी सभा में जिस ‘केजी टू पीजी’ मुफ्त शिक्षा का वायदा किया है, भुवनेश्वर में KISS नाम से वह माडल पिछले करीब 25 सालों से पूरी दुनिया को चमत्कृत कर रहा है। जिस महान परोपकारी शिक्षाविद अच्युत सामंत ने इस अद्भुत परिघटना को अंजाम दिया है वे पिछले 5 वर्षों से बीजू जंनता दल (बीजेडी) के लोकसभा सांसद हैं। आप चाहें तो इसे राहुल गांधी का बीजेडी को ‘फ्लाइंग किस’ भी कह सकते हैं।

KISS ( कलिंगा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज) उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त आवासीय आदिवासी स्कूल है जहां सबसे गरीब करीब 30,000 आदिवासी बच्चे वहीं रह कर पढ़ रहे हैं। और शिक्षा के हथियार से लैस होकर गरीबी को शिकस्त दे रहे हैं। केजीटूपीजी मुहावरा इसी KISS स्कूल की देन है और अब तक पहले और कहीं प्रयोग में नहीं आया। पता नहीं यह आइडिया राहुल गांधी के जेहन में किसने दिया। लेकिन आइडिया कहीं से आया हो, वह राहुल गांधी को अगर भा गया है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि इस स्कूल और माडल की ख्याति चतुर्दिक है।

अगर उड़ीसा के कालाहांडी में भूख से मरने की खबर अब नहीं आती तो यह इसी KISS स्कूल और शिक्षा माडल की देन है। एक समय था जब कालाहांडी भूख मे मौत का पर्याय था। जो बच्चे पढ़ने आए उन्होंने पढ़ते हुए ही अपने माता पिता की गरीबी भी दूर कर दी। जिन बच्चों के सामने माओवादी बनने के सिवा और कोई चारा नहीं था, उनमें अनेकों अभी सरकार को टैक्स दे रहे हैं। संक्षेप में कहें तो इस स्कूल ने उड़ीसा की तकदीर बदल दी । उड़ीसा में लंबे कार्यकाल एवं काम दोनों के मामले में बेहद सफल मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अच्युत सामंत नाम हीरे को पहचानने में जरा भी देरी नहीं लगाई, पहले उन्हें राज्यसभा भेजा और फिर 2019 में श्री सामंत बीजेडी प्रत्याशी के रूप में कंधमाल से जीत कर लोकसभा पहुंचे। उड़ीसा के विकास में अभी अच्युत सामंत उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। ‘किस’ मुफ्त शिक्षा का ऐसा चमत्कारी नमूना है जिसका पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं है।

यह स्कूल पूरी दुनिया के लिए शिक्षा का तीर्थस्थल है मानो। कौन नहीं आए यहां। हर समय के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर, सीएम, कई देशों के हेड आफ दी स्टेट, बालीवुड- हालीवुड के चर्चित चहरे, नामी गिरामी खिलाड़ी, नोबल प्राइज विजेता, आप नाम लें शायद ही ऐसी कोई बड़ी हस्ती हो देश की जो आकर ‘किस’ से चमत्कृत नही हुई। सभी अच्युत सामंत से एक सवाल जरूर पूछते हैं- ऐसा असंभव काम आपने कैसे कर दिखाया ? यूएनओ ने ‘किस’ को वैसे ही मोस्ट फेवरिट एनजीओ की संज्ञा नहीं दी है। G20 के दौरान भी पूरी दुनिया के डेलीगेट ने इस स्कूल को देख-सुन दांतों तले उंगलिया दबाई। कंधमाल से जीत कर आए तो लोकसभा में शपथ लेने के पहले स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें परोपकार की प्रतिमूर्ति के रूप में चित्रित किया और सांसदों को नसीहत दी कि अगर वे जन सेवा करना चाहते हैं तो अच्युत सामंत से सीखें। लोकसभा की यह अनोखी घटना थी।

लेकिन इस माडल की घोषणा करना आसान है, उसे जमीन पर उतारना बेहद कठिन है। कोई जादू की छड़ी नहीं है। अच्युत सामंत ने इसके लिए जो त्याग और मेहनत की उसकी एक अलग कहानी है। बड़े बड़े धन्नासेठ और धनकुबेर हैं जो परोपकार के लिए इफरात पैसे देते हैं लेकिन KISS जैसा आज तक कहीं नहीं बन पाया। अच्युत सामंत मानते हैं कि शिक्षा ही एक ऐसा तरीका है जिससे देश की गरीबी से मिटाई जा सकती है जिसे उन्होंने KISS के माध्यम से  बखूबी साबित भी किया।  चिरकुमार करीब 50 वर्षीय अच्युत सामंत ने इसी सोच से ‘शादी’ कर ली।

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