Punjab News: लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण पंजाब में औसत जीवन प्रत्याशा घट रही है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय आंकड़े से अधिक है। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की पर्यावरण 2025 रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में प्रति व्यक्ति औसत जीवन प्रत्याशा साढ़े चार वर्ष कम हो गई है, जबकि हरियाणा में यह पांच वर्ष और दो महीने कम हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा साढ़े तीन वर्ष का है। केंद्र के साथ मिलकर पंजाब सरकार भी इस आंकड़े को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम लागू किया गया
दिल्ली में स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है। राजधानी में प्रदूषण के कारण लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा सात वर्ष और नौ महीने कम हो गई है। इस रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। 28 राज्यों की राजधानियों में से 18 के निवासियों की जीवन प्रत्याशा राज्य औसत से कम है, जो भारत में मृत्यु दर के लिए एक बड़ा झटका है।
हर साल पराली जलाने से रोकने के लिए 500 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की जाती है। इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। अक्टूबर और नवंबर के महीनों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जो सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों के लिए खतरनाक माना जाता है।
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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत 130 शहरों में प्रदूषण कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं। केंद्र उन शहरों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जहां प्रदूषण अभी तक कम नहीं हुआ है। केंद्र ने पंजाब के इन 9 शहरों को अधिक प्रदूषण के कारण नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची में शामिल किया था। गैर-प्राप्ति की घोषणा उन शहरों के लिए की जाती है जो लगातार 5 वर्षों की अवधि में PM10 वायु गुणवत्ता स्तर के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं करते हैं। वायु प्रदूषण के पीएम10 स्तर में 10 माइक्रोमीटर व्यास वाले मोटे कण होते हैं, जो मरीजों के लिए अधिक खतरनाक होते हैं।