Saturday, May 4, 2024
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हरियाणा में रामलीला के दौरान मौ*त का लाइव, ‘हनुमान’ ने श्रीराम के चरणों में दम तोड़ा

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राम चरितमानस में वर्णित इन चौपाइयों के अनुसार 'जन्म-जन्म मुनि जतन कराहीं, अंत राम मुख आवत नाहीं।' यानि व्यक्ति जीवन के अंतिम समय राम का नाम मात्र का स्मरण कर ले तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है।

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भिवानी। हरियाणा के भिवानी में एक ऐसा वाक्या हुआ जिसे देख कर लोग हैरान रह गए। कल श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पूरा देश भगवान राम के बिराजने पर खुशियां मना रहा था, ऐसे में वो हुआ जिसकी मांग सभी करते हैं ताकि जन्म मरण से छूट जाये। राम चरितमानस में वर्णित इन चौपाइयों के अनुसार ‘जन्म-जन्म मुनि जतन कराहीं, अंत राम मुख आवत नाहीं।’ यानि व्यक्ति जीवन के अंतिम समय राम का नाम मात्र का स्मरण कर ले तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। पर श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भिवानी में जो हुआ वह दुर्लभ है।

रामलीला में मंचन के दौरान हनुमान जी का किरदार निभा रहे एक कलाकार की श्री राम का किरदार निभा रहे बच्चों के चरणों में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जानकारी के अनुसार सोमवार को जब अयोध्या में श्रीरामलला प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव और उमंग में हर कोई उत्साहित था, तब इस भव्य उद्घाटन के अवसर पर भिवानी में रामलीला का आयोजन किया गया था।

इस दौरान भिवानी के जवाहर चौक पर रामलीला मंचन के दौरान हनुमान की भूमिका निभा रहे एमसी कालोनी निवासी 62 वर्षीय हरीश ने भगवान राम के चरणों में ही दम तोड़ दिया। जब तक वह प्रभु के चरण में गिरे थे तो लोग इसे लीला का हिस्सा मान रहे थे। जब संभले तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। हरीश कुमार प्रभु चरणों में ऐसे लीन हुए कि फिर कभी नहीं उठे। मंच पर श्रीराम की गोद में ही हरीश के प्राण पखेरू प्रभु में विलिन हो गए।

प्रस्तुति समझ मंच पर तालियां बजाते रहे लोग

हरीश 25 वर्षों से न्यू बासुकीनाथ रामलीला कमेटी भिवानी में हनुमान का किरदार निभाते आ रहे थे। वे बिजली विभाग में जेई के पद से सेवानिवृत्ति के बाद भी रामलीला मंचन से अनवरत जुड़े हुए थे। रामलीला में लक्ष्मण बनने वाले सुरेश सैनी ने बताया कि हरीश को बचपन से ही शौक था कि वह रामलीला में काम करे। इसी शौक की वजह से वह रामलीला कमेटी से जुड़े थे। वह अभिनय के दौरान प्रभु श्रीराम में मग्न हो जाता।

सोमवार को भी रामलीला कमेटी कलाकारों ने ये आयोजन किया तो वह बहुत उत्साहित थे। जब मंच पर उन्होंने अभिनय शुरू किया तो वे पूरी तरह से प्रभु भक्ति में डूब गए। जब उन्होंने अयोध्या वापसी के बाद प्रभु श्री चरणों में नमन किया तो हर कोई यही सोच रहा था कि वे भावुक हो गए हैं, इसलिए काफी देर से नहीं उठे।

हरीश मेहता को हनुमान की ड्रेस में ही अस्पताल ले जाया गया था

जब साथी कलाकारों ने उन्हें उठाने का प्रयास किया तो वे बेसुध हो चुके थे। उनकी प्रभु भक्ति ने काफी देर तक उपस्थित भक्तों को असमंजस में डाले रखी। वे उनकी एक्टिंग समझ कर तालियां बजाते रहे, लेकिन जब वे नहीं उठे तो राम का किरदार निभा रहे कलाकार ने ही उन्हें सीधा किया। बाद में कलाकार साथी उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे तो पता चला कि वे इस दुनिया से अलविदा कह चुके हैं।

लोगों का कहना है कि हरीश काफी खुशजिजाज और अपने किरदार की तरह ही मिलनसार व्यक्ति थे। वे हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहते थे। अपने किरदार से इतने प्रभावित रहते कि वे हमेशा ही खुद को भगवान श्रीराम का सेवक मानते थे। अंत समय में भी वे प्रभु के सेवक ही बने थे और उसी गेटअप में उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।

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