रोहतक। PGI रोहतक में दूसरे अस्पतालों से मरीज रेफर करना आसान नहीं होगा। दूसरे अस्पतालों के डॉक्टरों को मरीज को रेफर करने से पहले उसे रेफर करने का कारण बताना होगा। फिर पीजीआई के एमएस फैसला लेंगे। इसमें वजह वाजिब होगी, तभी उसे दूसरे हॉस्पिटल में रेफर किया जा सकेगा। इससे पहले इस तरह की कोई प्रक्रिया अपनाए बिना ही मरीज को रेफर किया जाता रहा है।
पीजीआईएमएस के ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी में रोजाना करीब एक हजार मरीज भर्ती के लिए लाए जाते हैं। इनमें से बेहद इमरजेंसी वाले मरीजों को ही भर्ती किया जाता है, जबकि अन्य सभी मरीजों को डॉक्टर मौखिक तौर पर ही दूसरे हॉस्पिटल में ले जाने की बात कह देते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वेंटिलेटर की जरूरत वाले मरीजों के परिजनों से भी लिखवा लिया जाता है कि वह अपनी मर्जी से अपने मरीज को दूसरे हॉस्पिटल में लेकर जा रहे हैं। पिछले कई साल से यह स्थिति लगातार बनी है।
चिकित्सा अधीक्षक ने जारी किये आदेश
चिकित्सा अधीक्षक ने पीजीआईएमएस के विभागों को आदेश जारी कर नई व्यवस्था जल्द लागू करने के लिए कहा है। इससे ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी में जाने में मरीज को भर्ती करने की जरूरत हो गई है। डॉक्टर और इलाज के संसाधनों के बारे में एकदम सही जानकारी देनी पड़ेगी। मरीजों को आ रही दिक्कतें मरीज का कार्ड बनने के बावजूद लौटा देने की शिकायतें डीएमईआर के पास पहुंची हैं। डीएमईआर ने इसके लिए पुख्ता व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद पीजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कुंदन मित्तल ने आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में स्पष्ट किया कि पीजीआईएमएस में आने वाले मरीजों के बारे में कई बिंदुओं पर ब्योरा दर्ज करना होगा। इसमें जो भी मरीज आएगा, उसे रेफर करने के लिए रेफर करने का कारण लिखकर पहले एमएस को बताना होगा। यानि डॉक्टरों के लिए अब मौखिक तौर तीमारदारों से कहकर ही मरीज को रेफर करना आसान नहीं रहेगा।