Friday, May 3, 2024
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नितीश कुमार के ‘पागलपन’ के पीछे कोई ‘मेथड’ तो नहीं

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बिहार विधानसभा में सीएम के कथित ‘अश्लील ’ कथन की मीमांसा

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नई दिल्लीः बिहार विधान सभा में मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा दिए गए विचित्र कथन को उनके बुढापे का असर मानना सरलीकरण तो है ही, बचकाना भी है। बिहार के राजनीति के गंभीर प्रेक्षक ऐसा कतई नहीं मानते। उनके अनुसार नितीश कुमार का रहस्यमय कथन पहली नजर में जितना मूर्खतापूर्ण लगता है उतना वास्तव में है नहीं। उनके इस पागलपन के पीछे ‘मेथड’ (सोची समझी रणनीति) की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जो कहा, उनकी गहराई नापिए ( रीड हिज लिप्स)। उनका यह भी कहना है कि इस घटना से नितीश कुमार के इमेज एवं महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता पर शायद ही कोई असर पड़े। महिलाओं के लिए नितीश कुमार का 7 खून माफ है।

एक प्रेक्षक ने कहा -गलती समझ में आने पर माफी मांगने का जैसा बड़ा दिल नितीश ने दिखाया, क्या भाजपा के किसी नेता ने कभी किया है। भाजपा के कई शीर्ष नेता महिलाओं को लेकर क्या क्या बोल गए हैं याद कीजिए। इससे अगर नितीश जी ने अपनी कोई जमीन गंवाई भी होगी तो उससे अधिक जमीन उन्होंने तत्काल माफी मांग कर कमा ली। उन्होंने जिस तरह माफी मांगी, भारत की राजनीति में ऐसी मिशाल पहले नहीं देखी गई। उन्होंने हाथ जोड़ कर माफी ही नहीं मांगी, विधान सभा के अंदर उन्होंने यहां तक कहा कि मैं खुद अपने बयान की निंदा करता हूं। इस देश के लोग शीर्ष पर बैठे लोगों से ऐसी अपेक्षा रखते हैं।

प्रेक्षकों का यह भी कहना है कि महिलाओं के लिए नितीश ने जो किया है, महिलाओं को उनसे बिदकाना आसान नहीं है। बिहार की महिलाओं के लिए नितीश जी का 7 खून माफ है। शराबबंदी उनका एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक है जिसने उन्हें महिलाओं का मसीहा बना दिया है। महिलाओं के अपमान का सवाल तो कहीं नहीं ठहरता।

गलत ही सही इस वीडियो की वजह से एक बारगी पूरा देश नितीश नाम से परिचित हो गया। बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा। उन्होंने इससे यह भी जता दिया कि वे चुप्पा नेता नहीं है। उनकी निंदा करने वाले जान लें कि वे अपना मुंह खोल भी सकते हैं। इस बयान के दूसरे दिन नितीश ने जाति जनगणना एवं आरक्षण को बढ़ाने जैसे उनके मास्टरस्ट्रोक की खोट निकालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की जैसी क्लास लगाई कि सारे हतप्रभ रह गए। नितीश ने कहा कि उनकी मूर्खता से जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बन गए। जीतन मांझी ने कहा कि उन्होंने नितीश कुमार से ऐसे तू- तड़ाक भाषा की उम्मीद नहीं की थी। प्रेक्षकों का कहना है कि नितीश जी के इस ‘नए अवतार’ को समझने की जरुरत है- एक दमदार ओबीसी नेता का अवतार।

अपने इस ‘बेवकूफी’ भरे बयान से नितीश को I.N.D.I.A में अपनी हैसियत की थाह भी मिली। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सेक्स एडुकेशन का वास्ता देकर इसका बचाव ही किया। विपक्षी गठबंधन के किसी भी नेता ने इस मुद्दे पर चूं तक नहीं की। इस गठबंधन में शामिल किसी भी पार्टी के नेता ने इतना तक भी नहीं कहा कि उनकी पार्टी नितीश के बयान से अपने को अलग करती है। प्रधानमंत्री ने इस बयान को आड़े हाथों तो लिया लेकिन नितीश का नाम लेने से उन्होंने भी परहेज किया। भाजपा के बिहारी नेता कुछ भी कहें लेकिन भाजपा आलाकमान नितीश के हृदय परिवर्तन की आश लगाए अभी भी बैठा है।

नितीश कुमार अपनी सधी हुई चाल के लिए जाने जाते रहे हैं। बिना सोचे समझे उन्होंने ऐसी लड़क भुरभुरी कर दी यह मान लेना बेवकूफी है। उनकी जाति कुर्मी का 3-4 प्रतिशत होने के बावजूद उन्होंने बिहार में इतने लंबे समय तक वैसे ही निष्कंटक राज नहीं किया। इस मामले में उनकी तुलना बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु से ही की जा सकती है। यह बात सही है कि हम जनसंख्या में जल्द ही चीन को पीछे छोड़ने वाले हैं। इसलिए यह देश के लिए एक बड़ी समस्या है और आगे होने वाली है। कहीं वे यह रेखांकित तो नहीं करना चाहते थे कि उनमें प्रधानमंत्री वाली दूर दृष्टि है। अगर उन्हें पीएम बनने का मौका मिला तो वे देश की इस सबसे बड़ी समस्या को हल करने की समझ बूझ रखते हैं।

दो जगह लगातार एक ही तरह की बात करने को बुढ़ापे का लक्षण कतई नहीं कहा जा सकता है। कहते हैं वे पहले भी कई बार यह बात बोल चुके हैं। इसमें भी कोई शक नहीं बिहार की महिलाओं के शिक्षित होने का यह परिणाम जरूर हुआ है कि बिहार में जनसंख्या वृद्धि दर घटा है। इसका श्रेय तो नितीश को कुमार को देना ही पड़ेगा। नितीश कुमार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं, जो है भी। वे अपने कथन से शायद बताना चाहते थे कि देखिए इतनी विकट समस्या को उन्होंने कितनी आसानी से हल कर दिया।

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