Hysteria: आज के दौर में युवा वर्ग सबसे अधिक मानसिक रोग से ग्रसित है। यदि कोई इंसान मानसिक रुप से बीमार है तो वो काफी परेशान रहता है। लेकिन ऐसे वक्त में उसको समझने के बजाय लोग उसका पागल कहकर उसका मजाक उड़ाते हैं। आज हम आपसे एक ही मानसिक बीमारी हिस्टीरिया (Hysteria) के बारें में बात करेंगे। ये एक मानसिक बीमारी है लेकिन हमारे समाज में इस बीमारी के बारें में लोग बात करना भी पसंद नहीं करते हैं।
12-20 साल के लड़का-लड़की ज्यादा होते हैं हिस्टीरिया (Hysteria) का शिकार
अधिकांश तौर पर 12 साल से लेकर 20 साल के लड़के और लड़कियां हिस्टीरिया का शिकार होते हैं। यहीं समय होता है जब लड़का-लड़की में हार्मोन्स बदलते हैं। उनके शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। लेकिन आज भी हमारे समाज में अधिकांश परिवार में इतना पर्दा होता है कि बच्चे खुलकर अपनी बात पैरेंट्स के सामने नहीं रख पाते हैं। ऐसे में बच्चा अकेले ही परेशानी से घुटता रहता है। वह किसी से कह नहीं पाता है और एक टाइम के बाद ऐसा भी होता है कि परेशानी कंट्रोल से बाहर हो जाये। भारतीय समाज में कुछ परिवारों में घर का माहौल इतना घुटन भरा है कि बच्चें मानसिक रूप से गंभीर बीमार होते हैं।
क्या होती है हिस्टीरिया
दरअसल, हिस्टीरिया न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसकी वजह से मेंटल और नर्वस डिसऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है। इसमें पेशेंट खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाता। ऐसे मरीज पर किसी फोबिया, सेल्फ डिसिप्लिन की कमी या डिप्रेशन जैसी समस्याओं से परेशान होते हैं। हिस्टीरिया अधिकतर एडोलसेंस एज में होता है।
ये समस्या ज्यादातर लड़कियों में देखी जाती है, जो कम पढ़ी-लिखी हैं या फिर जो अपनी इच्छा और मन की बात को अंदर ही दबा देती हैं। किसी से कुछ कह नहीं पाती हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि ये लड़कियों को ही हो। वक्त के साथ-साथ कई लड़कों में भी हिस्टीरिया की समस्या देखी गई है।
इस बीमारी के लक्षण-
- शरीर में ऐंठन
- सांस लेने में परेशानी
- हार्टबीट का तेज होना
- सिरदर्द
- थकान महसूस होना
- चक्कर व बेहोशी आना
- वायलेंट होना
- तनाव
इस बीमारी से कैसे बचें
इस बीमारी से बचने के लिए साइको-डाइग्नॉस्टिक टेस्टिंग, ईईजी और न्यूरोलॉजिकल टेस्ट जरूर करायें ब्रेन में न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम के कारण हिस्टीरिया के लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही मरीजों को साइको थेरेपी, हिप्नो थेरेपी और सपोर्टिव ड्रग थेरेपी दी जाती है।
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