दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फरमान सुनाया है जिसकी चर्चा हर ओर हो रही है। दरअसल, एक व्यक्ति ने 14 साल पहले लड़ाई-झगड़े के दौरान अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। इस मामले पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने व्यक्ति को मर्डर का दोषी नहीं ठहराया है। कोर्ट का कहना है कि व्यक्ति ने क्रूर कृत्य नहीं किया है।
कोर्ट का मानना है कि मृतका और उसके पति के बीच झगड़ा हुआ था। पत्नी ने पति पर हमला किया था जिसके बाद पति ने चाकू से पत्नी को मार डाला। कोर्ट का कहना है कि पति का पहले से पत्नी की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। ना ही कोई विचार था उसने ना ही उसके क्रूर तरीके से काम किया। सहायक सत्र न्यायाधीश नवजीत बुद्धिराजा ने कहा कि ‘कोई पूर्व योजना’ नहीं थी और न ही पति ने कोई अनुचित लाभ उठाया या क्रूर तरीके से कार्य किया, लेकिन उसे पता था कि इस चोट से उसकी पत्नी की मौत हो सकती है।
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आरोपी अलमंथा पर 16 अगस्त 2009 को अपनी पत्नी का हत्या करने का आरोप था। इस वारदात में इस्तेमाल किए गए हथियार के बारे में कोर्ट ने कहा कि यदि चाकू नाले से बरामद किया गया होता, तो खून के धब्बे मिट गए होते। फोरेंसिक से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले, जिससे खून के धब्बे के निशान दोबारा नहीं मिल सकते।
इस मामले में अपने आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि दंपती के दो बेटों की गवाही के अनुसार, आरोपी और उसकी पत्नी खून से लथपथ हालत में पड़े मिले। इसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद आरोपी से पूछताछ की गई और उसने हथियार के बारे में खुलासा किया।
सुबूतों के ऊपर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच झगड़ा हुआ था और इसलिए कोई पूर्व योजना नहीं थी। तनाव बहुत ज्यादा रहा होगा और आरोपी भी चाकू से घायल हुआ होगा। आरोपी पर हमले के बाद उसने जवाबी कार्रवाई की होगी और पीड़िता पर चाकू से वार किया होगा।
लेकिन आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाया गया है। उसे भादंसं की धारा 304 भाग 1 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत दोषी पाया गया है।