Wednesday, May 1, 2024
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राम रहीम की पैरोल पर HC ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा, नोटिस जारी कर जवाब तलब किया

डेरा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार द्वारा दी गई 40 दिनों की पैरोल को रद्द करने की एसजीपीसी की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है।

चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत की पैरोल के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। SGPC द्वारा गुरमीत की पैरोल रद किए जाने की पिटीशन पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 17 फरवरी तक जवाब मांगा है। इस विषय पर बीते सप्ताह SGPC के सदस्य भगवंत सिंह सियालका ने भी जनहित याचिका दायर की थी, लेकिन किन्हीं तकनीकी कारणवश उन्होंने याचिका वापस ले ली थी। अब SGPC द्वारा एक प्रस्ताव पास कर सियालका के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के पैरोल देने के आदेश को चुनौती दी गई है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा दायर याचिका में मंडल आयुक्त रोहतक द्वारा पैरोल देने में वैधानिक नियमों के उल्लंघन पर सवाल उठाए गए हैं। SGPC ने 20 जनवरी, 2023 को आयुक्त रोहतक द्वारा गुरमीत सिंह को 40 दिन की पैरोल के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा-11 के प्रावधानों के खिलाफ बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। पैरोल की समयावधि के दौरान गुरमीत सिंह के गैर-कानूनी बयानों और गतिविधियों से संभावित खतरनाक परिणामों के बारे में याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट को अवगत कराया गया है।

SGPC ने याचिका में गुरमीत सिंह की पैरोल से भारत की संप्रभुता, अखंडता को खतरे में डालने और देश में सार्वजनिक सद्भाव, शांति और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए खतरा बताया है। एसजीपीसी द्वारा दायर याचिका में मंडल आयुक्त रोहतक द्वारा पैरोल देने में वैधानिक नियमों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। एसजीपीसी ने 20 जनवरी को आयुक्त रोहतक द्वारा गुरमीत सिंह को 40 दिनों की पैरोल देने के आदेश को हरियाणा सदाचार कैदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम 2022 की धारा 11 के प्रविधानों के खिलाफ बताते हुए रद करने की मांग की है।

आपको बता दें बलात्कार और हत्याओं के मामलों में 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार मिलने वाली पैरोल की वजह से सिख समुदाय में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसी के चलते सिख संगठनों का कौमी इंसाफ मोर्चा पिछले एक महीने से अपनी सजा पूरी कर चुके सिख कैदियों की रिहाई के लिए मोहाली में प्रदर्शन कर रहा है।

सिख नेताओं का मानना है कि जेलों में बंद सिख कैदियों को या तो पैरोल नहीं दी जाती। अगर दी जाती है तो शर्तों के साथ। उन्हें जंजीरों में बांधकर सिर्फ कुछ घंटों की पैरोल दी जाती है। जबकि गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दी जाती है और जेल से बाहर आने पर उसे जेड प्लस सुरक्षा, सत्संग करने की इजाजत और वीडियो आदि बनाने की छूट दी जा रही है। सिख समुदाय का मानना है कि गुरमीत राम रहीम एक बलात्कारी और हत्यारा है। सरकार उसे सभी सुविधाएं देकर और सिर्फ कैदियो के साथ भेदभाव करके सिख समुदाय के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

वहीँ डेरा प्रमुख पैरोल के दौरान अपनी छवि सुधारने की हर संभव कोशिश कर रहा है। अपने चेलों को फिर से डेरे की तरफ आकर्षित करने के लिए वह ऑनलाइन सत्संग कर रहा है। हाल ही में उसने एक वीडियो भी जारी किया है। उसने अपने संदेश में लोगों के बीच बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सिख नेताओं पर हमला बोला। पैरोल के दौरान गुरमीत राम रहीम ने दो विवाद भी खड़े कर दिए। एक बार तलवार से केक काटकर और दूसरी बार तिरंगी बोतल हवा में उछाल कर।

दरअसल सिख समुदाय पिछले काफी अर्से से जेलों में सजा पूरी कर चुके सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और शिरोमणि अकाली दल पिछले दो सालों से इन कैदियों की रिहाई के लिए प्रयासरत है। इन कैदियों की रिहाई के लिए कई सिख संगठनों ने कौमी इंसाफ मोर्चा के बैनर तले एक महीना पहले चंडीगढ़-मोहाली मार्ग पर धरना प्रदर्शन शुरू किया था, जो लगातार जारी है। सिख संगठनों ने लगभग एक किलोमीटर लंबी सड़क को जाम कर दिया है। प्रदर्शन में हर रोज सैकड़ों लोग शामिल हो रहे हैं। किसान संगठनों ने भी कौमी इंसाफ मोर्चा को अपना समर्थन दिया है।

सिख संगठनों का आरोप है कि सरकार गुरमीत राम रहीम और सिख कैदियों के बीच भेदभाव कर रही है. एक तरफ जहां गुरमीत राम रहीम को बार-बार पेरोल दी जा रही हैं, वही सिख कैदियों को या तो पैरोल दी ही नहीं जाती और अगर दी जाती है तो कड़ी शर्तों के साथ।

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