Sunday, April 28, 2024
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GST लागू होने के 6 सालों के बाद भी करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी

GST Collection: देश में कर की चोरी और टैक्स नियंत्रण करने के लिए 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी (GST Collection) कानून लागू किया गया था। जीएसटी पंजीकरण का ढांचा ऐसे तैयार किया गया था कि कोई भी व्यापारी कर की चोरी ना कर पायें। लेकिन जीएसटी लागू होने के 6 सालों के बाद भी 3 लाख करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है। हालांकि, टैक्स सिस्टम में धोखाधड़ी के नए तरीके भी आजमाए जा रहे हैं, लेकिन टैक्स ऑफिसर उनसे निपटने की कोशिश में लगे हुए हैं जिससे टैक्स चोरी को रोका जा सके।

सरकार को हुआ 3 लाख करोड़ रुपए का नुकसान (GST Collection) 

1 जुलाई साल 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक फेक डॉक्युमेंट के माध्यम से फर्जी कंपनियों द्वारा करीब 3 लाख करोड़ रुपए की टैक्स चोरी होने का अनुमान है।  इसमें से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में ही टैक्स चोरी की गई है जिससे सरकार का नुकसान हो रहा है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि जीएसटी सिस्टम में सबसे अधिक सुधार इसके नेटवर्क को एडवांस करने का है जिससे काउंटरफीट सप्लाई और आईटीसी के फेक क्लेम को रोका जा सके।

जीएसटीएन को एडवांस करने की जरुरत 

जीटीआरआई के को-फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने इस संबंध में कहा कि केवल डेटा एनालिटिक्स और फिजिकल चेकिंग से टैक्स चोरी की समस्या पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है।  जीएसटीएन की प्रक्रिया को कुछ इस तरह से एडवांस किया जाए कि आईटीसी क्लेम में लगाए गए बिलों के साथ सप्लायर्स की ओर से दी गई डिटेल्स का मिलान किया जा सके। जीएसटी लागू होने के 6 सालों के बावजूद भी जीएसटीएन वैल्यू सीरीज में सप्लाई संबंधी जानकारी को नहीं जोड़ पाया है। यही वजह है कि इससे  सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। जो व्यापारी ईमानदारी से अपना कारोबार कर रहे हैं उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है।

जीएसटी की दरों को समान बनाने के लिए जरुरी 

पूरे देश में जीएसटी की दरों को समान बनाने के लिए जरुरी है कि पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन  पर जीएसटी लगाया जाये। ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो लेनदेन, ईवी चार्जिंग ढांचे पर भी जीएसटी लगाया जाये।

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