Friday, May 17, 2024
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रोहतक में जेएलएन के घाट पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, छठ पूजा पर महिलाओं ने सूर्य को दिया अर्घ्य

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कुछ लोग दंडवत होकर घाट पर पूजा पाठ करने के लिए पहुंचे। दंडवत पहुंचने वालों के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। उगते सूर्य को महिलाओं ने पानी में खड़े होकर जब सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया तब चारों और 'जय छठी मैया' की गूंज रही।

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रोहतक। रोहतक में जेएलएन के भालौट सब ब्रांच और गौकर्ण पर बने घाट पर सोमवार सुबह आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। घाट पर पूजा करने के लिए पूर्वांचल के लोगों की भीड़ उमड़ी। छठ पूजा पूर्वांचल के लोगों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है इसलिए वे इस पर्व को पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं। सभी लोग पूजा पाठ के लिए श्रद्धा भाव से उगते सूर्य को अर्ग और अर्घ्य दिया। इसके साथ ही अपने परिवार की सुख-समृद्धि की मन्नत मांगी। वहीं, कुछ लोग दंडवत होकर घाट पर पूजा पाठ करने के लिए पहुंचे। दंडवत पहुंचने वालों के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। उगते सूर्य को महिलाओं ने पानी में खड़े होकर जब सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया तब चारों और ‘जय छठी मैया’ की गूंज रही।

सिर पर डाला उठाये हुए पुरुष

सोमवार को छठ पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों में काफी उत्साह है और श्रद्धा देखने को मिल रही है। महिलाएं व बच्चे सज-संवरकर पूजा के लिए पहुंचे थे। वहीं, पूजा सामग्री के साथ जल में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। छठ पूजा के पर्व को परिवार की उन्नति के लिए किया जाता है। पुरुष सिर पर डाला (फलों-सब्जियों से भरी टोकरी) उठा कर चलते नजर आये। आज महिलाओं और पुरुषों ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। छठ पूजा को लेकर घाटों पर लोगों की भीड़ देखने को मिली। जिन्होंने छठ पूजा पर उपवास रखा था, उन्होंने पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। इसके बाद अपना व्रत खोला।

मान्यता है कि छठ पूजा परिवार की खुशहाली के लिए की जाती है। इस दिन हर कोई अपने परिवार के लिए दुआ करता है और छठ माता उनकी मनोकामनाएं पूर्ण भी करती है। बता दें कि शुक्रवार को नहाय खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हुई थी। लोगों ने करीब 36 घंटे तक निर्जला उपवास किया। जिन्होंने व्रत रखा उन्होंने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया। व्रत करने वालों ने सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत खोला।

छठ पूजा के पर्व को देखते हुए शहर में घाटों को सजाया गए था। जहां पर काफी लोग पहुंचे। लगातार सुबह व शाम के समय उगते व छिपते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। डीसी ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए थे। लेकिन प्रशासन की हठ ने शहर के छठ पूजा स्थल का मार्ग ही बिगाड़़ दिया। पहले आयोजन स्थल की अनुमति देने में देरी की, फिर स्थल तक पहुंचने वाले मार्ग को ठीक नहीं कराया गया। इससे मजबूरी में भालौठ सब ब्रांच नहर की पटरी होकर गुजरना पड़ा। जबकि 27 अक्टूबर को ही पूर्वांचल एकता सेवा समिति की ओर से छठ पूजा की अनुमति के लिए जिला प्रशासन के यहां अर्जी लगाई गई थी।

समिति के पदाधिकारी अधिकारियों ने बताया कि वे छठ पर्व के धार्मिक आयोजन की अनुमति के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाते रहे। लेकिन उनको अनुमति ही नहीं दी गई। इससे छठ घाट पर श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए तैयारियां समय से प्रारंभ नहीं हो पाई। जबकि पूजा शुरू होने के मात्र एक दिन पहले में जेएलएन और भालौठ सब ब्रांच नहर के साइफन पर पुल निर्माण का कार्य पीडब्ल्यूडी की ओर से कराया गया। सिर्फ तिलियार की तरफ से रास्ता ठीक हुआ।

पूर्वांचल सेवा समिति के सदस्य नरेंद्र भारद्वाज ने कहा कि प्रशासन की देरी की वजह से शहर की तरफ से आने वालों को पुल पारकर छठ घाट आना जाना पड़ा। इस दौरान जाम के भी हालात बने। समिति की तरफ से सूर्य भगवान के मंदिर व धर्मशाला बनाने की मांग भी रखी। ताकि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल सके। प्रशासन व सरकार उनकी मांग जल्द पूरी करे।

वहीं पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता नरेंद्र सिंघरोहा ने बताया कि दिल्ली बाईपास पर तिलियार साइड से रास्ता ठीक कराया गया था। हालांकि, उधर का रास्ता उलटा होने के कारण लोगों ने नहर पटरी से निकालना ज्यादा आसान समझा। हालांकि, इससे हादसे की संभावना बढ़ गई थी। लोगों को खुद भी इसका ध्यान रखना चाहिए।

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