Saturday, May 4, 2024
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जानिए इस साल कब मनायेगी जायेगी छठ पूजा, नहाय-खाय, खरना सहित जानें सभी तारीखें

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Chhath Puja 2023: महापर्व छठ देश के कई राज्यों में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से इस पर्व की शुरुआत होती है। लोकआस्था का यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है और उनको अर्घ्य दिया जाता है।

यह व्रत संतान प्राप्ति, संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। दिवाली के बाद से ही लोग इस पर्व की तैयारी में जुट जाते हैं। ये पर्व सभी पर्व में सबसे ज्यादा कठिन होता है। इसमें  36 घंटे निर्जला उपवास करती हैं। जबकि किसी अन्य पर्व में इतना लंबा उपवास नहीं रखा जाता है।

जानिए छठ पर्व की तारीखें

नहाय खाय- 17 नवंबर को नहाय खाय है। छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन  व्रत रखने वाली महिला और पुरुष सिर्फ एक समय ही भोजन करते हैं। साथ ही भोजन ग्रहण करने से पहले सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है। इस दिन अपने घर के पास किसी पवित्र नदी या कुंड में जाकर स्नान भी किया जाता है। इस दिन चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाई जाती है। साथ ही पहले दिन व्रत रखने वाले पहले खाना खाते हैं इसके बाद ही परिवार के बाकी लोग भोजन ग्रहण करते हैं।

खरना- छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है। 18 नवंबर को खरना है। इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं। शाम के वक्त पूजा करने के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। इसी प्रसाद को व्रती ग्रहण करते हैं। फिर इस प्रसाद को बाकी लोगों में बांटा जाता है। इसके बाद से 36 घंटे का लंबा निर्जला उपवास शुरू होता है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देना- छठ पूजा के तीसरे दिन यानी संझिया घाट को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ये पर्व 19 नवंबर को है। इससे पहले व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य निकलने से पहले रात को मिश्री डाला पानी पीती हैं। उसके बाद शाम के समय सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव की उपासना के लिए इस दिन तरह तरह के पकवान ठेकुआ और मौसमी फल आदि अर्पित किए जाते हैं।

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उगते सूर्य को अर्घ्य देना पारण- छठ पूजा का आखिरी दिन पारण होता है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

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