Friday, November 22, 2024
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मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाना क्यों होता है अनिवार्य

Makar Sankranti: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत अधिक महत्व होता है। मकर संक्रांति साल का पहला पर्व होता है। साथ ही साथ ये पर्व इसलिए ज्यादा खास होता है कि क्योंकि मकर संक्रांति के साथ के साथ खरमास खत्म हो जाते हैं और शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा।

मकर-संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से निकलर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी पर्व जैसे कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं साथ ही साथ पूजा-पाठ करते हैं।

मकर संक्रांति में खिचड़ी बनाना क्यों अनिवार्य 

मकर संक्रांति में तिल के लड्डू के साथ-साथ खिचड़ी खाना भी अनिवार्य होता है। खिचड़ी का संबंध ग्रहों से होता है इसलिए इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है। माना जाता है कि दाल, चावल, घी, हल्दी, मसाले और हरी सब्जियों से मिश्रण से बनने वाले खिचड़ी का संबंध नवग्रहों से है। इसलिए खिचड़ी के सेवन से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

कहते हैं खिचड़ी के चावल का संंबंध चंद्रमा से, नमक का शुक्र से,  हल्दी का गुरु से, हरी सब्जियों का बुध से और खिचड़ी के ताप का संबंध मंगल ग्रह से होता है। मकर संकांति पर बनने वाली खिचड़ी में काली ऊड़द की दाल और तिल का प्रयोग किया जाता है, जिसके दान और सेवन से सूर्य देव और शनि महाराज की कृपा प्राप्त होती है।

कब से मकर संक्रांति के दिन बनाई जाने लगी खिचड़ी 

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना और दान करना करने की परंपरा बाबा गोरखनाथ और अलाउद्दीन खिलजी से जुड़ी हुई है। अलाउद्दीन खिलजी और उसकी सेना के विरुद्ध बाबा गोरखनाथ और उनके शिष्यों ने भी खूब संघर्ष किया। युद्ध के कारण योगी भोजन पकाकर खा नहीं पाते थे। इस कारण योगियों की शारीरिक शक्ति दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही थी।

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तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर एक व्यजंन तैयार किया, जिसे ‘खिचड़ी’ का नाम दिया गया। यह कम समय, सीमित साम्रगी और कम मेहनत में बनकर तैयार हो जाने वाला व्यंजन था, जिसके सेवन से योगियों को शक्ति मिलती थी और वे शारीरिक रूप से ऊर्जावान रहते थे।

खिलजी जब भारत छोड़कर गए तो योगियों ने मकर संक्रांति के उत्सव में प्रसाद के रूप में इसी तरह से खिचड़ी बनाई। इसलिए हर साल मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है और बाबा गोरखनाथ को भोग लगाया जाता है। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

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