Friday, May 17, 2024
Homeहरियाणाकरनाल विधानसभा उपचुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

करनाल विधानसभा उपचुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

- Advertisment -
- Advertisment -

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने करनाल विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया है। इसी के साथ अब उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में चुनाव आयोग ने कहा कि महाराष्ट्र के अकोला की विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव को रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के फैसले को याचिका में आधार बनाया गया है जबकि हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रहे हैं। वहां पर भी विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के चलते उपचुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया गया है।

याची ने पेश की दलील

करनाल निवासी कुनाल ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि 13 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पद से इस्तीफा दे दिया था। अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण पास करने के तुरंत बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के साथ ही करनाल विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी। इसी दौरान नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया गया और करनाल विधानसभा सीट के लिए चुनाव आयोग ने उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। याची ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए के अनुसार यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो चुनाव आयोग के पास उपचुनाव कराने का अधिकार नहीं होता है।

याचिका में महाराष्ट्र के अकोला विधानसभा क्षेत्र का हवाला देते हुए बताया कि इस सीट के लिए चुनाव आयोग ने 15 मार्च को अधिसूचना जारी कर 26 अप्रैल को चुनाव करवाने का निर्णय लिया था। इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने चुनाव अधिसूचना को इसी आधार पर रद्द किया है कि विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में एक वर्ष से भी कम समय बचा है। इस आदेश के बाद आयोग ने 27 मार्च को अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उपचुनाव को रोक दिया। याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि करनाल उपचुनाव को रद्द किया जाए।

चुनाव आयोग ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करते हुए आयोग बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने जा रहा है। ऐसे में उस फैसले के आधार पर करनाल के उपचुनाव को रद्द नहीं किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार ने भी अपनी दलीलें रखीं और कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब इस प्रकार मुख्यमंत्री चयनित होने के बाद उप चुनाव हुए हों।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -
- Advertisment -

Most Popular