Sunday, May 5, 2024
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हरियाणा के इस गांव में भगवान कृष्ण बने गांववाले, विधवा मीरा के घर अनोखा भात भरने पहुंचे सैकड़ो लोग

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हरियाणा के फतेहाबाद जिले जांडवाला बागड़ गांव में पहला अनोखा भात देखा गया है। मीरा देवी के लिए जिस प्रकार से उनके पीहर गांव ने अपना सहयोग दिया है, ये तो केवल पौराणिक कथाओं में नरसी भगत की बेटी हरनंदी के समय ही हुआ था।

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फतेहाबाद। हरियाणा के जिले फतेहाबाद में एक ऐसी शादी का एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जो आज तक सिर्फ पौराणिक कथाओ में ही सुना था। नरसी भगत की बेटी हरनंदी के भात में जैसे भगवान श्री कृष्ण पहुंचे थे, ऐसा ही एक मामला सामने आया है फतेहाबाद के गांव जांडवाला बागड़ में भी देखने को मिला। जहां एक बेटी जिसका न पति था और न ही पीहर में कोई बचा था, उसकी दो बेटियों की शादी में पूरा गांव श्री कृष्ण की तरह भात भरने के लिए पहुंच गया। करीब 700 गांव वाले एक साथ पहुंच गये। अपनेपन की ये मिसाल देखकर हर कोई भावुक हो गया। सभी ने एक साथ दोनों बेटियों की भात की रस्म पूरी की। लोग इतने थे कि विधवा बेटी को उन्हें तिलक करने में ही करीब 6 से 7 घंटे लग गए। क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश में ऐसा पहला मामला होगा, जब ऐसे इंसानियत की मिसाल पेश की गई हो।

बेटी के घर भात भरने श्री कृष्ण की तरह पहुंचा पूरा गांव

राजस्थान के पास स्थित गांव नेठराना की बेटी मीरा का विवाह फतेहाबाद के भट्टूकलां क्षेत्र के गांव जांडवाला बागड़ में महाबीर माचरा के साथ हुआ था। समय बीता और महाबीर माचरा व उनके पिता का भी देहांत हो गया। मीरा अपनी दो बेटियों के साथ घर में अकेली थी। यही नहीं विड़ंबना देखिए मीरा के पीहर में भी उनके पिता जोराराम बेनीवाल का पहले ही देहांत हो गया था। मीरा का एकमात्र भाई संतलाल बचा था, जो अविवाहित होने के चलते संत बन गया और उसके देहांत के बाद गांव में उसकी समाधि बना दी गई। मीरा की दो बेटियां मीनू और सोनू हैं, जिनका लालन पालन मीरा देवी ने अकेले ही किया।

भात लेकर मीरा के दरवाजे पहंचे नेठराना के लोग

मीरा देवी ने अपनी बेटियों का विवाह गांव बनगांव व राजस्थान के राजगढ़ के पास स्थित गांव बिरमी पट्टा में किया है। पीहर में अब भात नौतने के लिए कोई नहीं था तो वह गांव नेठराना में स्थित अपने भाई की समाधि पर गई और वहीं पर टीका लगाकर भात नौत दिया। जब वो भाई की समाधि पर तिलक कर रहे थी तो भावुक हो गई और रोने लगी। इस दौरान पूरा नेठराना गांव वहां एकत्रित हो गया और उन्होंने बेटी की आंखों से बहती अश्रुधारा देख ली।

भातियों को देखकर भावुक हुई मीरा

गांव नेठराना के ग्रामीणों ने एकजुट होकर निर्णय किया कि पूरे गांव के लोग गांव की बेटी मीरा का भात भरने के लिए जाएंगे। बुधवार को जब मीरा भातियों का इंतजार कर रही थी तो गाड़ियों का बड़ा हुजुम भात करने के लिए पहुंच चुका था। अपने गांव के लोगों को देखकर जहां मीरा भावुक हो गई, वहीं उनकी बेटियों मीनू और सोनू की आंखों में अश्रुधारा निकल गई। चारों ओर इस अनोखे भात को लेकर भावुक माहौल बना हुआ था। गांव नेठराना के एक-एक ग्रामीण ने अपनी इच्छानुसार भात दिया। 700 लोगों का प्यार देखकर दुल्हन मीनू और सोनू समेत वहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू छलक आए। फतेहाबाद में हुई ये शादी आस पास में चर्चा का विषय बन गई है। गांव जांडवाला बागड़ सहित आसपास के ग्रामीण भी इस अनोखे भात की तारीफ करते नहीं रुक रहे थे।

गांव जांडवाला बागड़ के लोग भी भातियों का लगातार स्वागत कर रहे थे। भातियों के स्वागत व टीका करने में मीरा को कई घंटे लगे। मौके पर मौजूद नेठराना के ग्रामीणों ने बताया कि वैसे तो पूरा गांव ही इस भात में आना चाहता था, लेकिन ज्यादा भीड़ ना हो, इसलिए हम अपने साधनों के साथ ही गांव में आए हैं। महिलाओं की संख्या भी इसमें खूब रही। करीब 10 लाख रुपए का भात भरा गया। घर में प्रवेश के लिए मायके के लोग पाटड़े पर चढ़े तो घंटों तक इनकी लाइन लगी रही। ग्रामीणों का कहना कि नरसी के भात, जो कि श्रीकृष्ण ने भरा था, के बाद अब मीरा के भात की ही चर्चा है। गांव नेठराना के लोगों ने बताया कि भले ही मीरा का परिवार गांव में नहीं है, लेकिन पूरा गांव मीरा के लिए तैयार रहा है। आज भांजियों का भात भरने में उनको काफी खुशी हो रही है। बुधवार देर रात दोनों बेटियों ने दूल्हों संग 7 फेरे लेकर जीवनभर साथ निभाने का वादा किया।

बेटी मीरा को आशीर्वाद देते नेठराना के बड़े बुजुर्ग

नेठराना गांव से आये ग्रामीणों ने बताया कि 1008 निकूदास के शिष्य संत लाल महाराज की बहन का भात है। इसलिए उनके सभी भक्त आज यहां यह मायरा भरने आए हैं। जिससे जो सहयोग बन पाया, उसने उतनी भात दिया। इस भात को लोगों की संख्या या राशि में नहीं नापा जा सकता, यह अमूल्य और अप्रत्याशित है। भात में मायका पक्ष की तरफ से गांव ने 5 लाख 84 हजार रुपए नकद, कुछ सोने-चांदी के गहने, कपड़े, 10 बिस्तर, 11 कंबल व अन्य सामान भेंट किया। इसके अलावा हजारों रुपए की टीका के दौरान टीकावणी बान अलग से आई। ग्रामीणों ने भात में करीब 10 लाख रुपए का खर्च किया। लोगों ने कहा कि नरसी भगत की कहानी सिर्फ सुनी थी, लेकिन अब सच होती सभी ने देखी है।

आपको बता दें हरियाणा की शादियों में मायके पक्ष (दूल्हा या दुल्हन का ननिहाल) से भात भरने की एक रस्म होती है। भाती के इस कार्यक्रम को खासकर दूल्हे या दुल्हन का मामा करता है। इस रस्म में मामा अपने भांजे या भांजी की थाल सजाकर पूजा करता है। उसे टीका लगाता है और उसे अपनी तरफ से पैसे और सामान का कुछ शगुन देता है। इसके बाद ही शादी की आगे की रस्म पूरी होती है।

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