Sunday, May 19, 2024
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वट सावित्री व्रत पर बन रहे हैं दुलर्भ योग

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Vat Savitri Vrat: सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए और रक्षा के लिए वट सावित्री (Vat Savitri Vrat) का व्रत रखती हैं। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर रखे जाने वाला वट सावित्री का व्रत इस साल 19 मई 2023 को रखा जायेगा। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत का फल उतना ही मिलता है जितना की करवा चौथ व्रत का मिलता है।

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त (Vat Savitri Vrat)

इस साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि  18 मई की रात को 9 बजकर 42 मिनट पर लगेगी और समापन 19 मई को रात में 9 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.19 मिनट से सुबह 10.42 मिनट तक है।

वट सावित्री शुभ योग

  1. गजकेसरी योग – वट सावित्री अमावस्या के दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में रहेंगे। इससे गजकेसरी योग बनेगा कहते हैं कि इस योग में पूजा और शुभ काम करने से साधक हाथी जैसा बल और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है।
  2. शोभन योग – वट सावित्री व्रत पर 18 मई 2023 को रात 07.37 मिनट से 19 मई 2023 को शाम 07.17 मिनट तक शोभन योग रहेगा। शोभन योग बहुत ही शुभ योग माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में पूजन करने से व्यक्ति का आर्कषण बढ़ता है, वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
  3. शश राजयोग – वट सावित्री के दिन शनि जयंती भी है और वट सावित्री व्रत वाले दिन शनि अपनी राशि कुंभ में विराजमान होंगे, जिससे शश राजयोग का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शश राजयोग समाज में मान सम्मान और आयु में वृद्धि दिलाता है।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

इस दिन शुभ मुहूर्त में बरगद के पेड़ की पूजा करें। पूजा के समय धूप और दीप अवश्य जलाएं। वट वृक्ष की जड़ को जल अर्पित करें और उसके चारों ओर 7 बार कच्चा धागा लपेटें। इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा जरूर करें।
वट वृक्ष के पत्तों की माला बनाकर पहने और वट सावित्री व्रत कथा जरूर सुनें। फिर चने का बायना और कुछ पैसे अपनी सास को देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूजा के पश्चात  फल, अनाज, कपड़ा आदि एक टोकरी में रखकर किसी ब्राह्मण को दान करें। व्रत का पारण 11 भीगे हुए चने खाकर करें।
पूजा सामग्री
सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूत, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का सामान, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, बरगद का फल, मौसमी फल, फूल, इत्र, सुपारी, रोली, बताशे, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, धुर्वा घास, नगद रुपये और घर पर बने पकवान और मिठाई।
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