Friday, May 17, 2024
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टाइग्रेस अभी जिंदा है बंगाल में !!!

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‘एक अकेली सब पर भारी’ दीदी की चूलें हिलाना नहीं आसां

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कोलकाता/नई दिल्लीः ममता बनर्जी को बंगाल की शेरनी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 2019 में घायल होने यानी भाजपा के हाथों लोकसभा की 18 सीटें गंवाने के बाद भी 2024 के मौजूदा चुनाव में ममता दीदी ने मोदी रूपी विशाल बुलडोजर के सामने उन्हीं के अंदाज में ‘एक अकेली सब पर भारी’ उद्घोष के साथ बंगाल में इंडिया गंठबंधन से अलग रहकर लड़ने का दमखम यूं ही नहीं दिखाया है। दीदी के इस आत्मविश्वास एवं अदा पर आप चाहें तो कह सकते हैं -बंगाल में टाइग्रेस अभी जिंदा है !

इस बीच कर्नाटक में भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीएस के  सकते में डालने वाले सेक्स स्कैंडल ने ममता दीदी के खिलाफ भाजपा के हाथ लगी संदेशखाली सेक्स स्कैंडल की धार को कुंद भी कर दिया है। कर्नाटक सेक्स स्कैंडल के सामने बंगाल के संदेशखाली के य़ौन उत्पीड़न का मामला कुछ भी नहीं। संदेशखाली पर अब भाजपा के हाथ पांव ठंडे हो गए लगते हैं।

2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) ने 42 सीटों में से 18 लोकसभा सीटें जीत कर ममता बनर्जी के अभेद्य समझे जाने वाले दुर्ग में बड़ा सेंध लगाया था। लेकिन इस बार हकीकत में बंगाल में भाजपा के वैसे उभार की कोई स्पष्ट सूरत दिखाई नहीं पड़ रही। पश्चिम बंगाल में चुनावी जमीन पर कान सटाए राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा के लिए 2019 की पुनरावृत्ति भी हो जाए तो बहुत है। कुछ का तो यहां तक चरम आकलन है कि मोदी जी इस बार पश्चिम बंगाल में 8 लोकसभा सीट भी पा लें तो गनीमत होगी।

भाजपा के ‘इस बार 400 पार’ के अतिरेक का कोई आतंक बंगाल में नहीं दिखता। मोदी के नेतृत्व से चमत्कृत राजनीतिक प्रेक्षक भी भाजपा के 18 से बहुत ज्यादा सीटें जीतने के आकलन की जुर्रत नहीं कर पा रहे। वे भी 19-20 तक पहुंचते पहुंचते हांफने लगते हैं। स्वतंत्र प्रेक्षकों का मानना है कि 2019 के चुनाव के समय मोदी की लोकप्रियता की जो सुनामी उठी थी पश्चिम बंगाल में अब उसके उतार का वक्त है।

कर्नाटक में भाजपा की सहयोगी पार्टी परिवार जेडीएस के एक कुलदीपक की करूतूत ने लगता है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा के संदेशखाली के वार को भी खाली कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के 33 साल के पोते एवं हासन लोकसभा सीट से एनडीए (जेडीएस) के उम्मीदवार सांसद प्रज्वल रेवन्ना के सेक्स रैकेट ने बंगाल क्या पूरे देश में एनडीए की चूंलें हिला दी हैं। मामला इतना गंभीर है कि रेवन्ना को चुनाव बीच में छोड़ कर जर्मनी भागना पड़ा। इसके बाद पश्चिम बंगाल में मानो भाजपा संदेशखाली का नाम ही भूल गई है। प्रांजल रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं के य़ौन शोषण एवं उनका अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है। अपना चुनाव छोड़ कर जर्मनी भागने के उसके कदम ने इन आरोपों की मानो पुष्टि कर दी है। उस पर तुर्रा यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभा में रेवन्ना के लिए वोट मांगा था।

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपमंडल में एक गांव है जिसका नाम संदेशखाली है। यहां की कुछ महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शेख शाहजहां और उसके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। अब कर्नाटक सेक्स स्कैंडल के रूप में ममता बनर्जी के हाथ भी भाजपा के खिलाफ एक बड़ा हथियार हाथ लग गया है। पहले ममता को संदेशखाली पर जबाव देते नहीं बन रहा था, अब भाजपा को कर्नाटक सेक्स स्कैंडल पर जबाव देते नहीं बन रहा है। सो हिसाब बराबर हो गया है।

बहरहाल, बंगाल की शेरनी ‘घायल’ जरुर होती रहती हैं लेकिन इससे उनके जुझाड़ूपन पर अभी तक कोई फर्क नहीं आया है। बंगाल में अभी तृणमूल की चूलें हिलाना भाजपा के लिए दूर की कौड़ी ही दिखती है। संभव है 4 जून के बाद भाजपा को पश्चिम बंगाल की फतह के लिए नए सिरे से सोचनी पड़े।

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