Monday, May 20, 2024
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चुनाव से क्यों अंतर्धान हो गए राम

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तिनकों का सहारा क्यों लेने लगे हैं पीएम

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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी जिस जतन से ‘राम को लाए थे’, लगता था कि भाजपा को 2024 के चुनाव में भारी विजय के लिए शायद ही किसी और मुद्दे की जरुरत पड़ेगी। लेकिन ऐसा होता कतई दिख नहीं रहा है।

चुनाव के शुरू होते होते राम मंदिर का मुद्दा मानो हवा हो गया है। एक समय लगता था कि राम मंदिर का मुद्दा इस चुनाव में भाजपा के लिए समर्थन की ऐसी सुनामी लेकर आएगा जिसमें विपक्ष की नैया डूबनी तय है। विपक्ष भी इस मुद्दे को भाजपा का ब्रह्मास्त्र समझ कर सकते में था। ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि मंदिर निर्माण के जिस मुद्दे को भाजपा और पीएम मोदी ने इतने जतन से सजाया संवारा था वह मुद्दा चुनावी विमर्श से इस तरह गायब हो जाएगा।

राम मंदिर के मुद्दे पर भाजपा की आशा कितनी टिकी थी इसका पता इस बात से चलता है कि शंकाराचार्यों के विरोध की जरा भी परवाह किए बिना पार्टी ने अफरातफरी में अय़ोध्या मंदिर में राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर दी। उस भव्य आयोजन से पूरा देश भक्तिभाव में डूबा हुआ भी दिखा। भाजपा ने कांग्रेस को धर्म संकट में डालने की मंशा से सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के अधीर रंजन को इस मौके पर अयोध्या आने का न्यौता भी दिया और न्यौता स्वीकार नहीं करने पर उनकी लानत मलानत की भी कोशिशें की गई। लेकिन वह रणनीति काम नहीं आई। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि इतना लंबा समय गुजर जाने की वजह से उस मुद्दे का प्रभाव गौण सा हो गया है।

ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी को अब छोटे छोटे मुद्दों के तिनकों का सहारा ही रह गया है। लेकिन साथ यह भी माना जा रहा है कि मोदी जानबूझ कर मुद्दों के ऐसे भंवर की रचना कर रहे हैं ताकि विपक्ष उसमें उलझ कर रह जाए और भाजपा को संकट में डालने वाले मुद्दों पर टिक ही न पाए। यह सही भी है कि ऐन चुनाव कुछ ऐसे मुद्दे खड़े हो गए हैं जिससे भाजपा के लिए विपक्ष को भटकाना जरूरी हो गया है।

मसलन, इलेक्टोरल बोंड एवं कर्नाटक में रेवन्ना सेक्स स्कैंडल मुद्दे भाजपा के गले की हड्डी बन रहे हैं। अबकी बार 400 पार का उद्घोष भी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने की जगह भाजपा पर उलटा पड़ा है। 400 पार की धृष्टता को विपक्ष ने भाजपा की संविधान को बदलने एवं आरक्षण को खत्म करने की मंशा से जोड़ दिया है। ये भाजपा की दुखती रगें हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि विपक्ष अगर मंहगाई और बेरोजगारी के मुद्दों के साथ अभी उपजे मुद्दों पर डटा रहा तो भाजपा गठबंधन की सत्ता की हैट्रिक की राह मुश्किल हो सकती है।

प्रधानमंत्री भैंस, मंगलसूत्र ऐसे अजीबोगरीब मुद्दे उछाल रहे हैं मानो उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा। विपक्ष एवं राजनीतिक प्रेक्षक इसे उनकी घबराहट एवं हताशा का पैमाना मान रहें है लेकिन कुछ राजनीतिक प्रेक्षक इसे सरलीकरण भी मानते हैं। विपक्ष की तरफ झुकाव वाले एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा कि पीएम मोदी को हलके में लेने की भूल न करे विपक्ष। मोदी जो भी मुद्दे उछाल रहे हैं लोगों को लग सकता है कि मोदी जी को यह क्या हो गया है लेकिन यह उनकी विपक्ष को चकमा देने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। सबको पता है मुद्दों से भटकाने का जो महारथ मोदी जी को हासिल है उसका कोई सानी नहीं है।

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