Wednesday, May 8, 2024
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PGI में जन्म-मृत्यु पंजीकरण में मिली हजारों गड़बड़ियां, हटाए गए विभाग के आरोपी रजिस्ट्रार

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जांच कमेटी की रिपोर्ट में डीएमएस डॉ. संदीप को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए पद से हटा दिया गया है। उन्हें मुख्यालय अटैच किया गया है। साथ ही बाद में आरोप पत्र जारी करने की बात कही गई है। प्रमाण पत्र बनाने में आनकानी का यह रवैया वर्ष 2012 से चलता रहा।

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रोहतक। PGI रोहतक में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए लोगों को टरकाया जाता रहा है, लोग चक्कर काटते रहते हैं लेकिन प्रमाण पत्र नहीं मिलते। अब विभाग की जांच में हजारों की संख्या में मामले अपंजीकृत पाए गए मामले सामने आये हैं। विभाग में 8 हजार से ज्यादा जन्म व मृत्यु के पंजीकरण में गड़बड़ी मिली है। जन्म व मृत्यु का डाटा सीआरएस (सिविल रजिस्ट्रेशन पोर्टल) पर अपलोड ही नहीं हुआ। सिविल सर्जन की ओर से गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है।

मौत के संवेदनशील मामलों में भी कई साल से पीजीआई में जिम्मेदारी नहीं निभाई गई। जांच कमेटी की रिपोर्ट में डीएमएस डॉ. संदीप को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए पद से हटा दिया गया है। PGIMS में डॉक्टर संदीप के पास जन्म व मृत्यु रजिस्टार की जिम्मेदारी थी, जो स्वास्थ्य विभाग से यहां डेपुटेशन पर आए थे। पीजीआई निदेशक डॉक्टर शमशेर सिंह लोहचब ने डॉक्टर संदीप को रिलीव कर दिया है। इसी के साथ निदेशक ने स्वास्थ्य विभाग हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर डॉक्टर संदीप को चार्जशीट करने को कहा है। उन्हें मुख्यालय अटैच किया गया है। साथ ही बाद में आरोप पत्र जारी करने की बात कही गई है। प्रमाण पत्र बनाने में आनकानी का यह रवैया वर्ष 2012 से चल रहा था।

जारी किया गया पत्र

स्वास्थ्य विभाग हरियाणा से एसएमओ डॉक्टर संदीप वर्ष 2015 में पीजीआईएमएस रोहतक में डेपुटेशन पर आए थे। बाद में 6 फरवरी 2020 को उन्हें पीजीआईएमएस में जन्म एवं मृत्यु के रजिस्टार की ड्यूटी दी गई थी। जिला रजिस्टार जन्म एवं मृत्यु कम सिविल सर्जन ने 7 मार्च 2023 को पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक को पत्र के जरिए सूचित किया कि जन्म एवं मृत्यु के आंकड़ें में भारी गड़बड़ मिली है। सिविल सर्जन की ओर से गठित कमेटी ने जांच की। जिसमें पाया गया कि सीआरएस पोर्टल पर डाटा अपलोड करने में गड़बड़ी की गई है।

जाँच में बताया गया कि अब तक 4 हजार से ज्यादा जन्म और 4 हजार से ज्यादा मृत्यु की जानकारी अपंजीकृत मिली हैं। फिर 13 मार्च को सिविल सर्जन ने पीजीआईएमएस निदेशक को पत्र के जरिए बताया कि हर माह 200 से 300 जन्म व मृत्यु सीआरएस पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया। ये पूर्ण रूप से सरकार के आदेशों का उल्लंधन है। इस तरह सरकार के आदेशों का पालन न करना गंभीर मामला है। सिविल सर्जन ने इस मामले की गहनता से जांच कर 7 दिन में रिपोर्ट देने को कहा। 28 मार्च को फिर एक और कमेटी का गठन मामले की जांच के लिए किया गया।

26 अप्रैल को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जमा करा दी। जांच कमेटी ने पाया कि इस मामले में बैकलॉग को पूरा करने के लिए प्रयास ही नहीं किए गए और ना ही इस बारे में कर्मचारियों को निर्देश दिए गए। यही नहीं जन्म मृत्यु के चीफ रजिस्टार ने कई बार पत्र व्यवहार मामले का हल निकालने को कहा लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। अब निदेशक ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि इस मामले में डॉक्टर संदीप के खिलाफ चार्जशीट जारी कर उचित कार्रवाई की जाए। पीजीआईएमएस से गुरूवार को डॉक्टर संदीप को रिलीव कर दिया गया है।

वहीँ डॉ. संदीप ने कहा कि जब वह शुरुआत में पीजीआई में तैनात किए गए थे। तब जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों का काम कराने के लिए 18 कर्मचारी थी। इसके कुछ समय बाद पीजीआई प्रशासन ने कर्मचारियों को इस काम से हटाकर दूसरे कामों में लगाना शुरू कर दिया। इसके बावजूद स्टेट में डाटा अपलोड करने में पीजीआई का तीसरा और चौथा स्थान रहा है। 18 कर्मचारियों से संख्या घटते हुए 5 रह गई। इसके लिए पिछले सालों में 17 बार पीजीआई प्रशासन को चिट्ठी भेजकर कर्मचारी देने की डिमांड की गई है। इसमें जिला प्रशासन को भी पत्र भेजा था। इस मामले में एक बार प्रशासन ने पीजीआई प्रशासन को फटकार भी लगाई थी। इन हालातों के बीच जिससे स्टेट में डाटा स्कोरिंग19 हो गई है।

पीजीआईएमएस निदेशक डॉ. शमशेर सिंह लोहचब ने कहा कि पहले से मामले की जांच चल रही थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर आदेश जारी किया गया है। डॉ. जितेंद्र जाखड़ को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है। वह पीजीआई के फोरेंसिक डिपार्टमेंट में प्रोफेसर हैं। लेकिन कर्मचारियों की कमी के बीच पेंडिंग काम को निपटाना और प्रतिदिन के काम को समय पर करना चुनौती बन सकता है।

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