साल में 12 शिवरात्री आती है लेकिन इनमें दो शिवरात्रि का खास महत्व होता है। जिसमें पहली फाल्गुन मास की शिवरात्रि, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है और दूसरी सावन मास की शिवरात्रि।
सावन शिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष का होता दुर्लभ संयोग (Sawan Shivratri 2023)
इस साल सावन शिवरात्री पर शनि प्रदोष पड़ रहा है जो बहुत ही दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। संतान प्राप्ति की कामना और शनि दोष से मुक्ति के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण तिथि है। सावन शिवरात्री पर शनि प्रदोष पड़ने से भगवान शिव और शनिदेव की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शनि का प्रभाव यानी साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि महादशा के दुष्प्रभावों में कमी आती है।
इन दोनों व्रतों के एक साथ होने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और समृद्धि भी बनी रहती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने चाहिए और शनि चालीसा और शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
सावन शिवरात्री और त्रियोदशी का मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ – 14 जुलाई, शाम 7 बजकर 18 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन – 15 जुलाई, रात 8 बजकर 33 मिनट तक
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ – 15 जुलाई, रात 8 बजकर 33 मिनट से
चतुर्दशी तिथि का समापन – 16 जुलाई, रात 10 बजकर 9 मिनट तक
प्रदोष काल में करें भगवान शिव की पूजा
प्रदोष काल में भोलेनाथ की पूजा करना शुभ माना जाता है। सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व से सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदीदेव की पूजा अर्चना करने से सभी समस्याओं से निजात मिलती है।
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