जानें कब है सावन का पहला प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh Vrat)
सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई को है। यूं तो साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन के महीने में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सावन का महीना और त्रयोदशी तिथि दोनों ही शिव जी को समर्पित है। ऐसे में सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शिव शंकर की पूजा के लिए बेहद खास मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
सावन प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचाग के अनुसार, सावन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को रात 07 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है। 15 जुलाई 2023 को रात 08 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा। इस दिन प्रदोष काल में ही शिव जी की पूजा की जाती है, इसलिए 14 जुलाई को शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाएगा। शिव पूजा का समय रात 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। कुल 2 घंटे 2 मिनट की अवधि आपको पूजा के लिए प्राप्त होगी।
सावन प्रदोष व्रत पूजा विधि
- सावन प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें।
- उसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा और उपासना करें।
- फिर शाम के समय प्रदोष काल में पूजा के दौरान दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- शिव जी को भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जला कर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में शिवजी की आरती करके पूजा समाप्त करें।
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