रोहतक। जो ठीक से जमीन पर नहीं चल पाते, उनके सामने विकास भवन की तीसरी मंजिल तक सीढ़ियां चढ़ने की मजबूरी है। क्योंकि लिफ्ट पिछले काफी समय से खराब है। जिससे यहां पर रोजाना अपने कामों को लेकर आने वालेदिव्यांगजनों और बुजुर्गों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके बावजूद प्रशासन ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है। जबकि फिलहाल फैमिली आईडी बनाने, राशन कार्ड में नाम जुड़वाने, आय ठीक कराने के लिए आमजन की आवाजाही बेहद है। बैसाखी के सहारे चल पाने वाले बुजुर्ग किसी तरह तीसरी मंजिल तक सीढ़ियों से पहुंचते हैं। इस बीच बैसाखी को बड़े ध्यान से टिकाते हैं।

क्योंकि सीढ़ी से बैसाखी जरा सी फिसलते ही जान जाने का भी खतरा है। बीच में रुक भी नहीं सकते। ऐसा करते हुए तीसरी मंजिल तक पहुंचते हुए थक जाते हैं। इसमें कई बार हिम्मत बीच में ही जवाब दे देती है। इस बीच अपनी समस्या बताने से पहले प्रशासन को कोसने लगते हैं। अगर किसी कारण से काम नहीं होता तो फिर से आने की सुनकर ही परेशान हो जाते हैं। क्योंकि इन सब कामों के लिए घर के जिम्मेदार बुजुर्गों को ही कार्यालय पहुंचना पड़ता है। इसलिए बुजुर्गों को रोजाना परेशानी उठानी पड़ रही है।
समर गोपालपुर निवासी 40 साल के संजय ने बताया कि वह बचपन से दिव्यांग है। बैसाखी के सहारे ही चल पाता है। घर में मां विधवा पेंशन लेती हैं। पत्नी ओर एक बिटिया है। मेरी और मां की सालाना आय का पेंशन ही आय का मुख्य साधन है। हमारी फैमिली आईडी में हमारी सालाना आय 250000 दिखा दी गई है। राशन कार्ड भी काट दिया गया। अब इसको ठीक कराने के लिए एक महीने से इधर उधर चक्कर काट रहा हूं। जिला विकास भवन में लिफ्ट खराब होने के कारण सीढि़यों से उपर और फिर नीचे पहुंचने में बेहद परेशानी हुई है। लेकिन जरूरत के कारण किसी तरह पहुंच पाए हैं।
लाखनमाजरा निवासी 68 वर्षिय कृष्णा ने बताया कि उनकी सालाना आय 5 लाख के करीब दिखा दी गई है। साथ ही राशन कार्ड काट दिया है। फैमिली आईडी में सुधार कराने के लिए विकास भवन पहुंचे। यहां लिफ्ट खराब होने की जानकारी मिली। साथ ही सीढ़ियां से ही ऊपर जाने के लिए कह दिया गया। अब चढ़ते-उतरते हालत खराब हो गई है। नीचे उतरने के बाद फाफी देर ते सीढ़ियों में बैठना पड़ा। उसके बाद ही घर जानके की हिम्मत जुटा पाई हूं।
खिड़वाली गांव के 65 वर्षीय रामदिया ने बताया कि वह अपनी पोती शिबू के नाम को ठीक कराने के लिए जिला विकास भवन में स्थित महिला एंव बाल विकास विभाग में आए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आपकी बेटी हमारी बेटी स्कीम में उनकी पोती का नाम शिबू की जगह शिवा लिख दिया गया था। जिसको ठीक कराने के लिए उन्हें सीढ़ियों के सहारे ऊपर तक जाना पड़ा। इस दौरान सांस फूल गई। बीच में सीढ़ी पर बैठने के बाद पहुंच पाए।