Tuesday, April 30, 2024
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स्मॉग के आगोश में रोहतक, AQI बिगड़ने से बढ़े आंखों में जलन और सांस की दिक्कत के मामले

रोहतक के अस्पतालों में लोग आंखों में जलन लंबे समय तक खांसी और गले में संक्रमण जैसी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। AQI बिगड़ने से हवा प्रदूषित हो चुकी है जिस के चलते इन मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। डॉक्टर्स का कहना है कि वायु प्रदूषण के स्तर के कारण लोगों को आंखों में जलन और पानी आने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

रोहतक। स्मॉग की सफेद चादर के आगोश में रोहतक आ चुका है। शुक्रवार दोपहर 12 बजे AQI 292 तक पहुंच गया, जबकि गुरुवार शाम से लेकर रात तक 346 तक पहुंच गया था। वातावरण में नमी , धुआं और धूल-कण से मिलकर बना स्मॉग आंसू निकाल रहा है। वहीं, आंखों में जलन की शिकायत के साथ लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। हवा में बढ़े पीएम स्तर ने प्रदूषण की समस्या को और गंभीर बना दिया है। मौसम परिवर्तनशील बना हुआ है। उत्तर पश्चिमी हवाओं ने बदलाव लाकर एक बार फिर लोगों को प्रदूषण से जूझने के लिए विवश कर दिया है।

वातावरण में धूल के कण

उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने से रात के तापमान में गिरावट आने के साथ नमी की मात्रा भी बढ़ी है। इस नमी के संपर्क में आकर धूल के सूक्ष्म कण से स्मॉग की चादर गहराते जा रहे हैं। इस कारण वीरवार को दिन भर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच सकी। एक्यूआई का स्तर भी अधिकतम 300 के पार पहुंच गया। यह औसत 292 रहा। प्रदूषण का स्तर ढलती शाम के साथ लगातार बढ़ता गया। वातावरण में धूल के कण इतने अधिक थे कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत के साथ आंखों में जलन महसूस हुई। दिन में दृश्यता इतनी कम हो गई कि वाहन चालकों दिन में लाइन जलानी पड़ी। हाईवे समेत कई मार्गों पर वाहन धीरे-धीरे चले।

सांस-अस्थमा के मरीजों की बढ़ी परेशानी

वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सितंबर माह के बाद बारिश नहीं हुई। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उप्र में धान की पराली को जलाया गया। इससे निकलने वाला धुआं बना और हवा में धूल भी मिल गई। धुआं-धूल के कण आसमान में पहुंचे और हवा का दबाव कम होने के कारण कणों ने स्मॉग का रूप धारण कर लिया। स्मॉग से सांस और अस्थमा के मरीजों को ही नहीं, बल्कि आम और स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। आंखों में जलन महसूस हुई और नाक में खुजलाहट जैसी स्थिति बन गई।

आबोहवा हो रही खराब

लगातार बढ़ रहे एक्यूआई के कारण तापमान में गिरावट, हवा का दबाव, अवैध ढंग से चल रहीं चिमनियां व मिक्सर प्लांट माने जा रहे हैं। इनके अलावा शहर से गुजरने वाले एक लाख वाहन भी प्रदूषण के बढ़ने का मुख्य कारक हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन कारकों पर अब तक नकेल नहीं कस पाया है। इसलिए शहर की आबोहवा खराब हो रही है। पर्यावरण मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होगी।

पीजीआई में बढ़ने लगे आंखों के मरीज

वायु प्रदूषण का असर पीजीआई व सिविल अस्पताल की ओपीडी पर भी पड़ रहा है। यहां आंखों में जलन, लाली, दर्द व सूजन के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पीजीआई की ओपीडी में रोजाना आने वाले करीब 400 में से 150 से ज्यादा मरीज इन्हीं समस्याओं से पीड़ित होते हैं। सिविल अस्पताल में भी 50 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। अस्पताल में आंखों के मरीज आ रहे हैं। प्रदूषण के कारण आंखों में लाली, जलन, दर्द व सूजन की शिकायत आम है। कुछ केस संक्रमण के भी आ रहे हैं। इस मौसम में बचाव ही बेहतर उपाय है। एलर्जी भी आंखों में समस्या की एक बड़ी वजह है।

हवा में जहरीले तत्वों की अधिकता

पीजीआई नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएस चौहान के अनुसार इस समय हवा में धूल कणों की अधिकता बनी हुई है। प्रदूषण का स्तर पर भी 300 से ऊपर नीचे ही बना हुआ है। रोहतक ऑरेंज जोन में होने के बावजूद सेफ नहीं है। पराली, पटाखों का धुआं व अन्य कारण मिलकर प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। नमी के कारण हवा में ऊपर उड़ रहे धूल कण नीचे आ गए हैं। इसमें महीन कण कॉर्निया में घुस जाते हैं। इससे धुंधलापन आ सकता है। हवा में जहरीले तत्वों की अधिकता संक्रमण का खतरा बढ़ रही है।

मास्क और चश्मे का करें प्रयोग

पीजीआई के वरिष्ठ चिकित्सक डा. ध्रुव चौधरी का कहना है कि स्मॉग से सांस और अस्थमा के मरीजों को बचना है तो उन्हें मास्क पहनना चाहिए। आंखों से स्मॉग से बचाने के लिए चश्मे का प्रयोग करें। चश्मा का प्रयोग दुपहिया वाहन चलाते समय जरूरी है। त्वचा को बचाने के लिए शरीर के साथ मुंह, हाथ और पांव को ढकना जरूरी है। बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। लोगों को सुबह-सुबह व्यायाम करने या टहलने के लिए बाहर न ही निकले तो ठीक है।

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