ओवरलोडिंग को लेकर परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर द्वारा सरकारी बसों में सिर्फ 52 यात्रियों को बैठाने के निर्देश के बाद सरकारी परिवहन सेवा को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी बसों में ड्राइवर और कंडक्टर 52 से ज्यादा सवारियां नहीं बैठा रहे हैं, जिससे पंजाब में पीआरटीसी को पिछले दिनों के मुकाबले रोजाना 90 लाख रुपये का घाटा हो रहा है।
पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने ईटीवी भारत टीम से बात करते हुए कहा कि परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर के ओवरलोडिंग को लेकर दिए गए बयान के बाद पंजाब की सभी पीआरटीसी और पैन बसों में 52 से ज्यादा सवारियां नहीं बैठाई जा रही हैं, कानून का पालन किया जा रहा है।
पहले एक बस में 100 से 120 यात्री होते थे, जिसमें 8 से 9 ऐसी श्रेणियां होती थीं, जिनके तहत मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती थी। लेकिन, अब 52 सवारियां ढोने का कानून लागू होने के बाद पंजाब के 27 डिपो को भारी नुकसान हो रहा है। प्रतिदिन करीब 90 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह कानून के मुताबिक सही किया जा रहा है क्योंकि जितने यात्री टैक्स दे रहे हैं, उतने ही यात्रियों को ले जाया जा रहा है, लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद सरकारी बस सेवा को भारी नुकसान हो रहा है। इसका असर अभी से दिखने लगा।
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कुलदीप सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में यह घाटा और बढ़ेगा, जिससे सरकारी विभाग निजीकरण की ओर बढ़ेंगे। कुलदीप ने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही कच्चे कर्मचारियों को पक्का नहीं कर रही है, इसलिए नई भर्तियां की जा रही हैं। दरअसल, पंजाब सरकार ने सरकारी ड्राइवरों और कंडक्टरों के लिए ऐसे कानून लागू कर दिए हैं कि उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ रहा है।
पहले कानून था कि अगर कोई यात्री टिकट नहीं लेता था तो उससे पंजाब रेवेन्यू का 10 गुना जुर्माना वसूला जाता था और अगर कोई कंडक्टर ऐसी गलती करता था तो उसे टिकट का 100 गुना पैसा देना पड़ता था, लेकिन अब कंडक्टर के पास एक महीने का समय है। वेतन काटा जाता है।