रक्षाबंधन पर जब बहन भाई के कलाई पर राखी बांधती है तो भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। लेकिन हरियाणा के फतेहाबाद में एक बड़ी बहन ने अपनी किडनी देकर छोटे भाई की जान बचा ली। रक्षाबंधन से चंद दिनों पहले गांव खजूरी जाटी की 55 साल की बेबी नटियाल ने 42 साल के छोटे भाई दीप चंद को अपनी किडनी देकर उसकी जान बचाई। महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर में किडनी ट्रांसप्लांट कराई गई। ऑपरेशन के बाद दोनों भाई बहन ठीक हैं।
दीप चंद की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी
2 साल पहले दीप चंद को सीने में दर्द हुआ। जब वो डॉक्टर के पास चेकअप कराने के लिए पहुंचा तो पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हो चुकी है। डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी। डालिसिस के बाद भी दीप चंद की हालत ठीक नहीं हुई। अंत में डॉक्टरों ने कहा कि दीप चंद को बचाने का एक मात्र तरीका है किडनी ट्रांसप्लांट। जितनी जल्दी हो सके उसकी किडनी ट्रांसप्लांट करानी जरुरी है। ऐसे वक्त में समझ नहीं आ रहा था कि आखिरी कौन अपनी किडनी देकर दीप चंद की जान बचायेगा।
मुश्किल वक्त में भाई की जान बचाने आगे आयी बहन
ऐसे मुश्किल हालात में दीप चंद की 55 वर्षीय बड़ी बहन बेबी आगे आई। बेबी ने कहा कि वह अपनी किडनी भाई को देकर उसकी जान बचाएगी। सभी औपचारिकताओं के बाद 8 अगस्त को कठिन प्रयासों से बहन की किडनी भाई को दे दी गई। जिससे दीप चंद की जिंदगी बच गई। अब उनकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
बेबी ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने अपने भाई की जान बचा ली। अपने भाई को किडनी डोनेट कर उसे नया जीवन दिया। किसी जीव का जीवन बचाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। मैं डेरा सच्चा सौदा की अनुयायी हूं वहीं से मुझे मेरे भाई का जीवन बचाने का हौसला मिला।
वहीं दीप चंद ने कहा कि मुझे अपनी बहन पर बहुत गर्व है। अक्सर लोग बहनों, बेटियों को कम आंकते हैं। लेकिन मेरी बहन ने ये साबित कर दिया कि जब परिवार पर मुश्किल आती है तो वहीं मदद के लिए आगे रहती हैं। रक्षाबंधन पर ये अनमोल उपहार देकर मेरी बहन ने मेरी जिंदगी बचा ली।
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