हरियाणा में साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधियों की खैर नहीं। पुलिस साइबर अपराध को रोकने के लिए बैंकों की मदद लेगी। अब बैंक में किसी भी व्यक्ति का खाता खुलवाने से पहले ये सुनिश्चित किया जाएगा बैंक खाता आधार कार्ड में दिए गए मोबाइल नंबर से लिंक हो। ऐसे में ओटीपी सही नंबर पर जायेगा जिससे साइबर अपराध बहुत हद तक कम होगा।
पुलिस ने साइबर सुरक्षा को लेकर बैंक के अधिकारियों के साथ बनाई रणनीति
पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने बीते कल पुलिस मुख्यालय में प्राइवेट और सरकारी बैंक के अधिकारियों के साथ साइबर सुरक्षा को लेकर रणनीति बनाई। एडीजीपी साइबर ओपी सिंह और आइजी अंबाला सिबास कविराज ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बैंको के स्तर पर साइबर अपराध रोकने संबंधी चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया।
बैंक अधिकारियों के साथ पुलिस महानिदेशक ने मुख्य तीन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। बैंकों के द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों का साइबर हेल्पलाइन पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ प्रशिक्षण करवाया जाएगा। सभी एक ही जगह पर आपस में तालमेल स्थापित करते हुए काम करेंगे जिससे साइबर फ्रॉड की शिकायत मिलते ही गोल्डन आवर्स में बैंक अकाउंट को फ्रीज किया जा सकेगा।
बैंक अधिकारी संदिग्ध वित्तीय लेन-देन पर नजर रखें
डीजीपी ने बैंक अधिकारियों को संदिग्ध वित्तीय लेन-देन पर नजर रखने की सलाह दी है। डीजीपी ने कहा कि हर एक बैंक खाते में वित्तीय लेन-देन का एक पैट्रर्न होता है। बैंक अधिकारी इस पैट्रर्न को समझें और ऐसे बैंक खातों में होने वाले संदिग्ध लेन-देन की निगरानी रखते हुए अपने दिमाग से आवश्यकता अनुरूप इन्हें ब्लॉक करना सुनिश्चित करें।
साइबर अपराध को रोकने उपरांत रिकवर की गई राशि को मूल बैंकखाता धारक को रिफंड करने की भी प्रभावी व्यवस्था बनाएं। पीओएस मशीन की जिओफेंसिंग अवश्य करें ताकि निर्धारित सीमा के बाहर जाते ही वह काम करना बंद कर दें।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कहा कि साइबर हेल्पलाइन नंबर – 1930 पर प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए एचडीएफसी बैंक के साथ मिलकर शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है।
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