रोहतक। रोहतक में इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है। इस मौसम में दूषित गन्ने का रस व कटे-गले फलों की बिक्री पूरे जोरो पर है। रेहड़ियों पर खुले में फल काटकर बिक रहे हैं। धूप में बाहर निकलने वाले गर्मी से निजात पाने के लिए रेहड़ियों पर बिक रहे गन्ने के जूस, जलजीरा और शिकंजी जैसी इन सभी चीजों का सेवन करते हैं। बढ़ती गर्मी के मौसम में गन्ने के दूषित रस व फलों को खाने से तमाम बीमारियां फैलने का भी खतरा बना रहता है। साथ ही घरों में भी दूषित पेयजल आ रहा है। अगर ये रेहड़ियों से खरीद कर पेय पदार्थ पीये और साथ ही दूषित पानी पीया तो पीलिया होना तय है। इस कारण कई बीमारियों में घिर सकते हैं। ऐसा हम नहीं पीजीआई और नागरिक अस्पताल के डॉक्टर्स कह रहे हैं।
कटे फलों पर भिनभिनाती हैं मक्खियां
चिकित्सकों ने खुले स्थानों पर रखा पेय पदार्थ का सेवन न करने की सलाह दी है और ख़ास कर खुले में बिक रहा गन्ने का जूस बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। रेहड़ियों पर बिना ढके पपीता तरबूज खरबूज व अन्य फल बेचे जा रहे हैं। इन पर हर समय मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। सफाई के नाम पर वहां कुछ नहीं है। आंधी चलने से धूल व मिट्टी फलों पर व रस के अंदर जाती रहती है। गन्ने का रस निकालने के थोड़े समय बाद ही काला हो जाता है। जागरूकता के अभाव में यह रस भी ग्राहकों को पिला दिया जाता है। यही फल व रस बीमारियों को निमंत्रण देते हैं।
गन्ने का जूस ऐसे दे रहा बीमारियां
गन्ना रस के विक्रेता कच्ची बर्फ मिलाते है। रेहड़ी पर मीठा होने के कारण मक्खियों की भरमार रहती है। गन्ने का रस सस्ता होता है, इसलिए लोग अधिक पीना पसंद करते है। वहीँ डॉक्टर्स का कहना है कि गन्ने पर जो फफूंद होती है उससे हेपेटाइटिस ए, डायरिया और पेट की बीमारियां होती हैं। इसी प्रकार गन्ने की मिट्टी से भी पेट संबंधी बीमारियां होती हैं। गन्ने में अगर लालिमा है तो इसके रस मत पीजिए। इस फफूंद को गन्ने की सड़ांध या रेड रॉट डिजीज कहा जाता है। यह एक तरह का फंगस है, जो गन्ने के रस को लाल कर देता है। इससे जूस की मिठास भी कम हो जाती है। ऐसा गन्ना सस्ता मिलता है और सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। अगर गन्ने का रस बनाते समय साफ सफाई का ध्यान न रखा जाए तो ज्वाइंडिस, हेपेटाइटिस, टायफायड, डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
धूप में मिलने वाला पेय कर देगा बीमार
पीजीआई की डाइटिशियन पूनम बताती हैं कि गर्मी से बचने के लिए हम धूप में ठंडी चीजें पी लेते हैं। मगर बाजार में खुले में बिकने वाले पय पदार्थ जैसे गन्ने का रस शिकंजी आदि में किस तरह का पानी इत्यादि इस्तेमाल हो रहा है। हमें पता नहीं होता। ऐसे में इससे पेट की बीमारियों के अलावा सर्द-गर्म होने का भी खतरा रहता है। धूप में निकलने के दौरान स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए तरल पीना लाजमी है लेकिन शरीर तापमान को अनुकूल करने के बाद ही ये उपाय फायदेमंद होगा। डॉ. पूनम बताती हैं कि किसी भी बाह्य तरल के फायदे से ज्यादा नुकसान हैं। बाहर मिलने वाला गन्ने का जूस डायरिया को बढ़ावा देता है। पेय पदार्थ विक्रेता साफ-सफाई का इंतजाम नहीं रख पाते जिसके कारण तरल के फायदे भी नुकसान में बदल जाते हैं। ऐसे में घर से निकलते समय घर से ही पेय पदार्थ लेकर चलें।
अधिकारीयों ने मूंद रखी हैं आँखे
बता दें निगम क्षेत्र में गन्ना रस की रेहड़ियां चल रही है। इन्हें न तो निगम प्रशासन का डर है और न ही स्वास्थ्य विभाग का। रोहतक में गन्ने रस की रेहड़ियों की बाढ़ आई हुई है। इन रेहड़ियों पर सफाई नाम की कोई चीज नहीं है। रिहायशी क्षेत्रों में दर्जनों चलती-फिरती रेहडि़यां गन्ने का रस निकाल कर बेचती रहती है। इसी तरह से शहर में रेहड़ियों पर कटे हुए फल खुले में बेचे जा रहे हैं। वहीँ हलवाईयों की दुकानों पर सड़क किनारे खुले में समोसा, ब्रेड पकौड़ा, चाउमिन, रखकर बेचे जा रहे हैं। चौराहों से स्वास्थ्य विभाग तथा निगम के अधिकारी भी निकलते रहते है, लेकिन उन्हे ये रेहड़िया दिखाई नहीं देती है। गन्ने का रस पीने तथा खुले में बेचे जाने वाली खाद्य सामग्री, कटे हुए फलों से डायरिया के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इन की तरफ अभी तक किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं गया है।