Friday, May 17, 2024
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रोहतक में मौसम बदलते ही बढ़ गई चर्म रोगियों की ओपीडी, रोजाना पहुंच रहे 200 से अधिक मरीज

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डॉ. दिनेश मलिक का कहना है कि स्केबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर मरीज के संपर्क में आने से बचने की सलाह दे रहे हैं।

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रोहतक। रोहतक में मौसम में बदलाव के बाद त्वचा रोगियों की संख्या ओपीडी में बढ़ने लगी है। जनवरी और फरवरी माह में 120 से 130 मरीजों की ओपीडी रहती थी, वहीं केवल सिविल अस्पताल में अब 200 से ज्यादा मरीजों की संख्या पहुंच गई है। मौसम में थोड़ी और गर्मी आने पर मरीजों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।

जानकारी के अनुसार नागरिक अस्पताल की ओपीडी में रोजाना फंगल इंफेक्शन, दाद, स्केबीज (दाने वाली खुजली) के मरीजों की ओपीडी 200 के पार हो गई है। इस बीमारी से ठीक होने में आठ-दस महीने तक का समय लग रहा है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मलिक ने बताया कि लोग त्वचा रोग को लेकर गंभीर नहीं है, जब खुजली ज्यादा बढ़ जाती है तो इलाज लेने के लिए अस्पताल में आते हैं। इतना ही नहीं गांव व शहर की कालोनियों में बैठे डाक्टरों से ही इलाज ले लेते हैं, जो शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है।

फंगल इंफेक्शन का मरीज

डॉ. दिनेश मलिक का कहना है कि स्केबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर मरीज के संपर्क में आने से बचने की सलाह दे रहे हैं। साथ ही चिकित्सक की सलाह लिए बगैर खुद से खरीदकर क्रीम लगाने की वजह से यह रोग और बढ़ रहा है। वहीं दिन में मौसम गर्म और रात में ज्यादा सर्द से भी दाद फंगस चर्म रोग हो रहा है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, संक्रमित पालतू जानवर के संपर्क में आने, संक्रमित व्यक्ति की वस्तु इस्तेमाल करने से यह रोग फैलता है।

डॉ. दिनेश मलिक का कहना है कि फंगल इंफेक्शन डायबिटीज, कुपोषित बच्चे, खून की कमी, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, ज्यादा समय तक अनुचित एंटीबायोटिक, स्टेराइड दवा के सेवन से यह बीमारी ज्यादा देखी जा रही है। मरीज खुद, दूसरों की सलाह, गैर विशेषज्ञ से पूछकर गलत दवा मेडिकल स्टोर से खरीदते हैं, जिसमें तीन या चार दवाओं का स्टेराइड सहित मिश्रण होेता है। इससे थोड़े समय के लिए आराम जरूर मिलता है लेकिन दाद, स्केबिज व त्वचा फंगस को बढ़ाता है। ऐसे में बिना चिकित्सकीय सलाह के मरीज को बाजार से दवा नहीं लेना चाहिए।

यह बरतें सावधानियां

– नाखून छोटे रखें।

– कमर, हथेली पर धागा बांधने से बचें।

– संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।

– कपड़ों को गर्म पानी में धोएं व सूर्य की रोशनी में सुखाएं।

– सिंथेटिक, इलास्टिक वाले कपड़े न पहनें।

– बिस्तर, कपड़े, तौलिया, नियमित रूप से धोएं।

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