Nanda Karnataki tragedy : हिंदी सिनेमा में कई अदाकाराओं ने अपनी खूबसूरती और अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया है। इनमें से एक थीं नंदा कर्नाटकी। हालांकि, उनकी फिल्मों ने सफलता के झंडे गाड़े, लेकिन उनकी निजी जिंदगी हमेशा दर्द से भरी रही।
बचपन में मिली जिम्मेदारियां
नंदा ने महज 7 साल की उम्र में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा। उनके पिता का निधन होने के बाद परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। साल 1948 में फिल्म मंदिर से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपने करियर की शुरुआत करने वाली नंदा ने 1956 की फिल्म तूफान और दिया में लीड एक्ट्रेस का किरदार निभाया।
इस बीच, उनकी मेहनत और टैलेंट ने उन्हें बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेज में शुमार कर दिया। लेकिन, जबकि उनकी प्रोफेशनल जिंदगी कामयाबियों से भरी थी, उनकी निजी जिंदगी कभी खुशहाल नहीं हो सकी।
प्यार से दूरी बनाए रखना
नंदा ने अपने करियर पर फोकस बनाए रखने के लिए हमेशा प्यार और रिश्तों से दूरी बनाए रखी। इसके बावजूद, उनके प्रति डायरेक्टर मनमोहन देसाई का प्यार किसी से छिपा नहीं था। हालांकि, देसाई कभी अपने दिल की बात नंदा से कहने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
मनमोहन देसाई की अधूरी चाहत
मनमोहन देसाई नंदा से बेइंतहा मोहब्बत करते थे। बॉलीवुड में यह अफवाह भी थी कि देसाई ने अपनी पत्नी जीवन प्रभा से सिर्फ इसलिए शादी की थी क्योंकि वह नंदा की तरह दिखती थीं। हालांकि, इन दावों की सच्चाई पर कोई मुहर नहीं लगी।
नंदा की अधूरी जिंदगी
नंदा की जिंदगी में प्यार ने एक बार दस्तक दी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनकी शादी से पहले उनके मंगेतर का निधन हो गया। इस त्रासदी ने नंदा को गहरा आघात दिया। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन सफेद साड़ी पहनकर, एक विधवा की तरह जीने का फैसला किया।
नंदा कर्नाटकी की कहानी दर्शाती है कि कामयाबी और शोहरत के बावजूद जिंदगी हमेशा सुखद नहीं होती। प्यार और रिश्तों का महत्व जीवन को संपूर्ण बना सकता है, लेकिन कभी-कभी किस्मत अपने अलग ही रास्ते चुनती है।