Friday, May 3, 2024
Homeधर्मपितृ पक्ष में नहीं कर पाए हैं तर्पण तो सर्व पितृ अमावस्या...

पितृ पक्ष में नहीं कर पाए हैं तर्पण तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय

- Advertisment -

अगर किसी को अपने पितरों के मरने की तिथि मालूम ना हो या जाने अनजाने में कोई पितर छूट गया तो अमावस्या के दिन उनके लिए पिंडदान किए जाते हैं। 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष तौर पर पितरों के निर्माता तर्पण किए जायँगे।

- Advertisment -

रोहतक। पितृ पक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है। इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या,महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष/श्राद्ध पक्ष में में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महात्म्य है। सर्व पितृ अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। पितरों के श्राद्ध के लिए इस दिन को उत्तम माना गया है।

पितृपक्ष का समापन

हिंदू पंचांग के अनुसार 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या (पितृ विसर्जन अमावस्या) है। इस दिन विधिवत रूप से पितरों के नियमित अनुष्ठान एवं तर्पण किए जाते हैं। यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस अमावस्या का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृ इन दिनों पृथ्वी पर विचरण करते हैं। ताकि 16 दिनों तक वह अपने परिजनों के बीच रहकर अन्न और जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें। पितृपक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है। इस दिन पितरों की आत्मा के शांति के लिए किए गए अनुष्ठान से पितरों की हर प्रकार की नाराजगी दूर हो जाती है।

अमावस्या के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त

पंडित रोहित शर्मा ने बताया कि अगर किसी को अपने पितरों के मरने की तिथि मालूम ना हो या जाने अनजाने में कोई पितर छूट गया तो अमावस्या के दिन उनके लिए पिंडदान किए जाते हैं। 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन विशेष तौर पर पितरों के निर्माता तर्पण किए जायँगे। तर्पण शुभ मुहूर्त के अनुसार करने चाहिए, क्योंकि अगर शुभ मुहूर्त में तर्पण करता है तो उसका कई गुना ज्यादा फल मिलता है। अमावस्या के दिन तर्पण करने के 3 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला कुतुप मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है। दूसरा रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे से 01:16 बजे तक है. तीसरा अपराह्न काल मुहूर्त दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक है।

इस दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु हुई हो उनके निमित्त भी सर्व पितृ अमावस्या के दिन तर्पण किया जा सकता है। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का तर्पण करने से मानसिक शांति होती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूर्वजों और पितरों के आशीर्वाद से जीवन में सभी कष्टों का निवारण होता है। पितरों का आपके परिवार पर आशीर्वाद बना रहे इसके लिए अमावस्या के दिन इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

पितृ अमावस्या पर क्या करें

– इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए ब्राह्मणों को घर बुलाएं और आदर के साथ उन्हें भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें। इस दिन गाय, कुते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होंगे।
– सर्व पितृ अमावस्या के दिन चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं,गाय को हरा चारा खिलाएं ऐसा करने से आपको कष्टों से मुक्ति मिलेगी। पितृपक्ष में पशु पक्षियों को अन्न-जल देने से विशेष लाभ मिलता है। इन्हें भोजन देने से पितृगण संतुष्ट होते हैं।
– इस दिन पितरों के निमित्त असहाय एवं गरीब लोगों को भरपेट भोजन कराएं। ऐसा करने से घर की आर्थिक परेशानी दूर होती है और धन संपत्ति का आगमन होता है।
– इस दिन संध्याकाल में घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको सभी सुखों की प्राप्ति होगी।
– अनेकों परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें।
– पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ में काले तिल मिलकर जल जरूर चढ़ाना चाहिए। शाम के समय यहां दीपक जलाना चाहिए।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -
- Advertisment -

Most Popular