Ganga Dussehra: हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) मनाया जाता है। इस साल 30 मई को गंगा दशहरा मनाया जायेगा। हिंदू धर्म में इस पर्व का काफी महत्व होता है। माना जाता है कि राजा भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा इस दिन पूर्वजों की शापित आत्माओं को शांत करने के लिए पृथ्वी पर उतरी थी। पृथ्वी पर गंगे नदी की के आगमन को चिन्हित करने के लिए हर साल गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं।
गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) शुभ योग
हस्त नक्षत्र का शुभारंभ 30 मई को सुबह 04 बजकर 29 मिनट पर होगा और इसका समापन 31 मई को सुबह 6 बजे होगा। वहीं व्यतिपात योग की शुरुआत 30 मई को रात्रि 08 बजकर 55 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 31 मई को रात्रि 08 बजकर 15 मिनट पर हो जाएगी। इस विशेष दिन पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है, जो पूरे दिन रहेगा।
गंगा दशहरा से जुड़ी रोचक बातें
वेद पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में जब एक पैर आसमान में उठाया तो ब्रह्म देव ने उसे जल से धोया और पानी को कमंडल में रख लिया था। कमंडल में उस जल से गंगा का जन्म हुआ था। वामन देव के पैर से आसमान में छेद हुआ और उससे गंगा का जन्म हुआ।
दूसरी कथा के अनुसार, ब्रह्म देव ने जन्म के बाद गंगा को हिमालय को सौंप दिया था। हिमालय की पुत्री माता पार्वती हैं। इस तरह से गंगा और पार्वती बहन हो गईं। शिव पुराण की कथा के अनुसार, गंगा भगवान शिव को पति रूप में पाना चाहती थीं, लेकिन माता पार्वती इससे खुश नहीं थीं। गंगा ने कठोर तप से भोलनाथ को प्रसन्न किया तो उन्होंने उनको अपने समीप रहने का वरदान दिया। पृथ्वी पर अवतरण से पूर्व भगवान शिव गंगा को अपनी जटाओं में बांध लेते हैं। वहीं से गंगा भगवान शिव की जटाओं से होकर पृथ्वी पर बहने लगती हैं।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा करने से और स्नान-ध्यान करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा का भी खास महत्व है। गंगा दशहरा पर्व के दिन गंगा नदी में स्नान करने से 10 प्रकार के विकारों का नाश हो जाता।
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