किसान आंदोलन की बाकी मांगों को पूरा कराने के लिए अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है। बीते दिन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देशभर के करीब 150 किसान संगठनों ने दिल्ली में एक विशेष बैठक की और इस बैठक के दौरान दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन की बाकी मांगों पर चर्चा की गई। बाकी मांगें 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार से करने की रणनीति बनाई गई।
लखीमपुरखीरी से जुड़े मामले में केंद्रीय मंत्री अजय टेनी को कैबिनेट से बर्खास्त कर इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया और किसान नेताओं पर से हत्या का मुकदमा वापस कर दिया गया। शहीद किसानों के पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देना। देश भर में इस संघर्ष से जुड़े सभी मुकदमे वापस किये जायें। देशभर के किसानों का सारा कर्ज माफ किया जाए। 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन। बिजली बिल 2020 वापस लें और सभी कृषि फसलों का बीमा सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि लगभग 3 साल पहले 26 जनवरी 2021 को मोदी सरकार ने सांप्रदायिक कार्ड खेला और संघर्ष से बाहर सांप्रदायिक ताकतों के साथ गठबंधन बनाकर संघर्ष को तोड़ने की साजिश रची, जो किसानों की ताकत है। किसानों के संघर्ष में शक्ति और महत्वपूर्ण कारक किसान संगठनों के सीधे दृष्टिकोण को दमखम की ताकत ने विफल कर दिया। कृषि कानून वापस करने के बावजूद मोदी सरकार ने उसी योजना और साजिश को छोड़ा नहीं है, बल्कि नए सिरे से अलग-अलग रूपों में इसे और तेज किया जा रहा है।
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वह न केवल कृषि कानूनों को विभिन्न रूपों में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि पंजाब में विभिन्न सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन करके सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने और किसानों की एकता को कमजोर करने की भी कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर जहां 26 जनवरी को देशभर में किसानों द्वारा ट्रैक्टर मार्च किया जाएगा, वहीं सताधारी जब आपके घर वोट मांगने आएंगे तो उनकी मांगों से जुड़े सवाल-जवाब इसका जवाब आम लोगों को देना चाहिए। संयुक्त
किसान मोर्चा द्वारा बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाई गई। उन्होंने कहा कि वोट देने के अधिकार से केवल चेहरे बदलते हैं, व्यवस्था नहीं बदलती, आज व्यवस्था बदलने की जरूरत है क्योंकि चेहरे बदलने से देश के किसान वर्ग का भला नहीं होगा।