रोहतक। प्रॉपर्टी आईडी में सुधार के लिए नगर निगम रोहतक में अभी भी लंबी कतारे लगी हुई हैं लेकिन लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा। लोगों की भीड़ के चलते कुछ दिन पहले कमिश्नर ने लोगों को कहा था कि प्रॉपर्टी आईडी की त्रुटियों के सुधार के लिए निगम में आने की आवश्यकता नहीं है। शहर के लोगों को भटकना न पड़े इसके लिए निगम की ओर से डोर- टू-डोर अभियान चलाया गया।
इस अभियान में निगम के 22 वाडों में 250 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। दो दिन के इस अभियान में निगम की ओर से 36 हजार आईडी में सुधार का लक्ष्य रखा गया था। मगर दो दिन में ही अभियान फ्लॉप दिखा। डोर-टू-डोर गई टीम लक्ष्य के मुकाबले मात्र 860 आईडी का ही मिलान कर पाई। अब शहर वासियों के पास भटकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। प्रॉपर्टी आईडी में दर्ज एड्रेस और आईडी नंबर ढूंढने में निगम के कर्मचारी के चकराते घूमते रहे। इससे लोगों की समस्या पहले जैसी ही रह गई।
वहीं जनप्रतिनिधियों ने टीम के फील्ड में न होने का आरोप लगाया उनका कहना है कि टीम क्षेत्र में कही भी दिखाई नहीं दी। खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं हो रहा है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नगर निगम ने जैसा दावा किया था, वैसी जमीनी स्तर पर कुछ नजर नहीं आ रहा है। गांधी कैंप निवासी रमेश कुमार, वैभव, जयकुमार आदि ने बताया कि प्रॉपर्टी आईडी की खामियों को ठीक करने के लिए निगम निगम के कर्मचारी पहले कभी नहीं दिखे। पिछले एक साल से तो टैक्स के बिल तक नहीं मिले हैं। निगम ने कर्मचारियों को गलत लिस्ट थमा रखी है। इससे लोगों की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है।
वार्ड नंबर 14 में पहुंचे नगर निगम के कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें 200 बिल दिए गए हैं। इनमें से 12 ही बिलों पर सही नाम और जगह मिली है। यह उन्हें दे दिए गए हैं। बाकी का समझ में नहीं आता कि कैसे करें? इस स्थिति के बारे में उच्च अधिकारियों को बताएंगे। जो निर्देश मिलेगा उसी के अनुसार काम करेंगे। एक महिला कर्मचारी ने बताया कि काफी लोगों के बिल पर गलत मोबाइल नंबर दर्ज है। इसमें कई बार गलत नंबर मिल गए। इसमें दूसरी तरफ से अभद्रता भी की गई। लेकिन, खुद ही उसे कॉल करके मुसीबत मोल ली। इसलिए झेलनी पड़ी। इसमें कई बार मोबाइल नंबर स्विच ऑफ करके अंजान कॉलर से निजात पाई।
वहीँ वार्ड नंबर-14 पार्षद राधेश्याम ढल ने कहा कि नगर निगम की तरफ से व्हाटसऐप ग्रुप में मैसेज के जरिए प्रॉपर्टी आईडी में मिलान की जानकारी दी गई थी। इसके बाद कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया। दूसरे दिन रविवार को खुद ही अफसरों को फोन करके पता करना पड़ा कि वार्ड 14 में कोई टीम आई है या नहीं आई है। इसके बाद टीम से बात हो गई। गिनती के लोगों की आईडी का मिलान हो पाया है। इससे लोगों की समस्या हल नहीं हो पाई है।
वार्ड-11 पार्षद कदम सिंह अहलावत ने कहा कि प्रॉपर्टी आईडी के कारण लोग परेशान है लेकिन ऐसी योजना को ही हटा देना चाहिए जिसकी जमीनी स्तर पर कोई जरूरत नहीं है। निगम कह रहा है कि कर्मचारी सर्वे करने आये हैं जबकि इस वार्ड में तो कोई नहीं आया। लोग आएंगे भी कैसे जब उन्हें पता ही नहीं होगा। जागरूक करने के लिए अख़बार में छोटा सा कॉलम लिख देते हैं जो सभी की नजर में नहीं आता। कह देते हैं कि निगम को घाटा हो रहा है जबकि घर को नर्सिंग होम दिखा कर प्रॉपर्टी आईडी में कर्मशियल बना दिया गया है और जो बड़े बड़े हॉस्पिटल या बैंक्वेट हॉल चल रहे हैं उन्हें रेजीडेंशयल बना दिया गया है। अगर निगम सही तरीके से सर्वे करवाएगा तो निगम को इसी भी तरह से घाटा नहीं होगा और विकास कार्य सही से हो पाएंगे।
प्रॉपर्टी आईडी की त्रुटियों को लेकर सोशल मिडिया पर रोहतक निगम की बहुत किरकिरी हो चुकी है ऐसे में जब निगम कमिश्नर धीरेंद्र खड़गटा से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने बात करने से इंकार कर दिया। हॉउस मीटिंग में भी वीडियो बनाने से इंकार कर दिया और सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। नगर निगम के लोगो को बेवकूफ बनाने के कारनामे कहीं बाहर न आ जाये ये कार्रवाई इस वजह से की गई है। आपको बता दें निगम कमिश्नर धीरेंद्र खड़गटा निकाय मंत्री की बैठक में पहले भी अभद्रता कर चुके हैं। वीडियो से अंदर हुई सभी प्रश्नोत्तरी लोगों के सामने आ जाती है शायद आत्ममोह के शिकार कमिश्नर इसी बात से डर गए हैं कि कहीं निगम के कारनामें लोगों के सामने न आ जाये।