सीएम मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्ल्ड पंजाबी ऑर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित किए जा रहे ‘पंजाब विजन-2047’ कॉन्क्लेव कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि कुदरत ने पंजाब के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी है, जिससे सफलता नहीं मिलती, लेकिन फिर भी पंजाब क्यों पीछे रह गया, इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया गया है। इस बार पंजाब देश को 182 लाख मीट्रिक टन चावल दे रहा है, हालांकि चावल हमारे आहार का हिस्सा नहीं है।
दरअसल, हम चावल नहीं, बिसलेरी जैसा पानी दे रहे हैं, जिसके कारण आज हमारा भूमिगत जल खत्म हो गया है और आधे से ज्यादा पंजाब डार्क जोन में आ गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पंजाब चावल देता है तो उसे अन्नदाता कहा जाता है, लेकिन जब धान से पराली पैदा होती है तो किसानों पर उसे आग लगाने का मामला दर्ज कर दिया जाता है।
इसके समाधान के लिए हमने केंद्र को कई बार कहा है कि हम धान से तंग आ चुके हैं, हम पराली को आग नहीं लगाना चाहते। यदि हम धान के बराबर पैसा मक्का, बाजरा या मूंग दाल की फसल पर बचा लेंगे तो दूसरी फसल लगा लेंगे। उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान भी कहने लगा है कि पंजाब का जहरीला धुआं लाहौर की ओर आ रहा है।
विधवा व तलाकशुदा महिलाओं को स्वरोजगार के लिए दिया जा रहा 3 लाख तक का ऋण, जानें- प्रोसेस
यहां से दिल्ली वालों को भी यही कहा जाता है। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि हमारा धुआं तो आसपास ही दिया जाता है? उन्होंने कहा कि हर किसी को पंजाब का धुआं ही दिखता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम पराली में आग लगाते हैं तो सबसे पहले यह धुआं हमारे फेफड़ों से होकर गुजरता है और हर कोई हमें ही दोषी ठहराता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान मिलकर निकालना होगा। हम नहरी पानी के उपयोग पर जोर दे रहे हैं ताकि भूजल बचाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक किलो चावल पैदा करने में 3500 लीटर पानी लगता है। इसमें किसानों का भी कोई दोष नहीं है। मुख्यमंत्री मान ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार कोई न कोई फंड लेकर बैठी है। जब देश को अनाज की जरूरत थी तब पंजाब ने हरित क्रांति लायी और पंजाब ने देश का दामन थामा, आज पंजाब को जरूरत है तो देश को हमारा दामन थामना चाहिए।