Friday, November 22, 2024
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HAU की बड़ी उपलब्धि, गेहूं की नई किस्म विकसित, रेतीले व कम उपजाऊ क्षेत्र में वरदान

हिसार। HAU की बड़ी उपलब्धि सामने आई है जो रेतीले व कम उपजाऊ क्षेत्र में वरदान साबित होगी। जी हां, हरियाणा के हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए गेहूं की नई किस्म डब्ल्यूएच 1402 इजाद की है। केवल दो पानी में प्रति एकड़ औसत 50 से 68 क्विंटल पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक, कम पानी, कम उपजाऊ व रेतीले क्षेत्र के लिए कारगर साबित होगी। यह किस्म भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी भाग के लिए चिन्हित की गई है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर का मैदानी भाग आता है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं को एक नई किस्म डब्ल्यू एच 1402 विकसित की है। इस किस्म की दो पानी में हो औसत उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व अधिकतम उपज 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह किस्म पीला रतुआ, भूरा रतुआ व अन्य बीमारियों के प्रति रोगरोधी है। साथ ही यह किस्म कम पानी वाले जोन की अच्छी किस्म एनआईएडब्ल्यू 3170 से 7.5 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है।

पत्रकारों से बातचीत करते एचएयू के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज व अन्यडब्ल्यू एच 1402 की बिजाई का उचित समय व बीज की मात्रा

कुलपति ने बताया कि गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यू एच 1402 किस्म रेतीली, कम उपजाऊ व कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निकाली गई है। इस किस्म की अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए शुद्ध नत्रजन 90, फास्फोरस 60, पोटाश 40, जिंकसल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग की सिफारिश की जाती है। उन्होंने बताया कि किसान भाई दो पानी में ही अधिक उपज ले सकते हैं, क्योंकि दिन प्रतिदिन भू-जल अधिक दोहन के कारण नीचे जा रहा है। यह नई किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगी।

 बिजाई का उचित समय व बीज की मात्रा

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. के. पाहुजा ने बताया कि गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यू एच 1402 किस्म की बिजाई का उचित समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर का पहला सप्ताह है और बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म को दो पानी जिसमें पहला पानी बीजाई के 20-25 दिन बाद शिखर जड़े निकलते समय व दूसरा पानी बीजाई के 80-85 दिन बाद बालियां निकलते समय देने की जरूरत है।

 डब्ल्यू एच 1402 किस्म की विशेषताएं

गेहूं एवं जौ अनुभाग के प्रभारी डॉ. पवन ने बताया कि गेहूं की नई किस्म डब्ल्यू एच 1402 किस्म 100 दिन में बालियां निकालती है और 147 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की बालियां लंबी (14 सेंटीमीटर) व लाल रंग की है। इस किस्म की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर है, जिससे इसके गिरने का खतरा न के बराबर है। इस किस्म का दाना मोटा है। इसमें 11.3 प्रतिशत प्रोटीन, हेक्टोलीटर वेट (77.7 केजी/एचएल) लोह तत्व (37.6 पीपीएम), जिंक (37.8 पीपीएम) है। अत: पौष्टिकता के हिसाब से यह किस्म अच्छी है।

वैज्ञानिकों की मेहनत का है परिणाम

विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यू एच 1402 विकसित की है। इस टीम में डॉ. एम.एस. दलाल, ओपी बिश्नोई, विक्रम सिंह, दिव्या फोगाट, योगेन्द्र कुमार, एसके पाहुजा, सोमवीर, आरएस बेनीवाल, भगत सिंह, रेणु मुंजाल, प्रियंका, पूजा गुप्ता व पवन कुमार का इस किस्म को विकसित करने में अहम योगदान रहा। विश्वविद्यालय ने गत 3 वर्षों में 23 किस्में अनुमोदित व चिन्हित की।

तीन साल में विभिन्न फसलों की 23 किस्में अनुमोदित

विश्वविद्यालय ने गत तीन वर्षों में विभिन्न फसलों की 23 किस्में अनुमोदित की हैं, जिनमें गेंहू की डीबी डब्ल्यूएच 221 व डब्ल्यू एच 1270, बाजरा की एचएचबी 67 संशोधित-2, सरसों की आरएच 1424 एवं आरएच 1706, चना की एचसी 6, गन्ने की सीओएच 160, मक्का की अंतर संस्थागत पूसा एचएम 4 (शिशु) एवं पूसा एचक्यूपीएम 1 संशोधित, ज्वार की सीएसवी 53 एफ, एचजे 1514 व हाइब्रिड एचजेएच 1513, जई की एचएफओ 427, एचएफओ 529, एचएफओ 607, एचएफओ 611, एचएफओ 707, एचएफओ 806, मटर की एचएफपी 1428 व एचएफपी 1426, बाकला की एचएफबी-2, चंद्रशूर एचएलएस-4, करेला की एचकेएच 56 शामिल हैं।

इनके अलावा छह किस्मों जिसमें गेंहू की डब्ल्यू एच 1402, सरसों की आरएच 1975, मूंग की एमएच 1762 व एमएच 1772, जई की एचएफओ 906 और मसूर की एलएच 17-19 शामिल हैं ये जल्द ही अनुमोदित हो जाएगी।

15 अतिरिक्त किस्में हुई चिन्हित

साथ ही 15 अतिरिक्त किस्में चिन्हित हो चुकी हैं जिनमें मक्के की एचक्यूपीएम-28 (चारा ) व एचक्यूपीएम- 29 (अनाज), गन्ने की सीओएच 176, जेई की एचएफओ 915, एचएफओ 917 एवं एचएफओ 1014, बाकला की एचएफबी-3, धान की एचकेआर 49, काबली चने की एचके 5, अश्वगंधा की एचएजी-1, मूंगफली की जीएनएच 804 और भिंडी की एचबी 13-11-3, मक्का की अंतर संस्थागत तीन किस्में आईएमएचएसबी 17 आर 16, आईएमएचएसबी 17 आर 17 व एबीएसएच 4-2 किस्में चिन्हित कर ली गई है।

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