Sunday, April 28, 2024
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बेबी केयर में इस्‍तेमाल होने वाले Baby wipes मासूमों के लिए है खतरनाक, हैंड सोप भी कर रहा बीमार

हमारे आस-पास ऐसी कई वस्तुएं हैं जिनमें केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है और ये केमिकल्स हमारे स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर डालते हैं, ऐसा ही एक प्रमाण एक रिसर्च में साबित हुआ है कि नेल पॉलिश, बेबी वाइप्स और हैंड सोप में इस्तेमाल होने वाला केमिकल बच्चों में ऑटिज्म का खतरा बढ़ाता है, आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में-

हेल्थ। डिलीवरी के बाद बेबी केयर में कुछ महीनों के लिए Baby wipes शहरों में रहने वाली माओं के लिए एक अहम जरूरत बन जाते हैं। आजकल अमूमन हर नई मां अपने बच्‍चे की केयर में बेबी वाइप्‍स का इस्‍तेमाल करती है। शिशु दिनभर में बहुत बार पेशाब करते हैं और लगभग हर दो घंटे में उनका डायपर बदलना पड़ता है। ऐसे में Baby wipes बहुत काम आते हैं क्‍योंकि इसे बड़े आराम से शिशु की नाजुक त्‍वचा को साफ करते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि ये Baby wipes आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। इसमें इस्तेमाल किए गए केमिकल कई गंभीर बीमारियों को बुलावा देते हैं।

खुशबू और रंग देने के लिए कई वस्तुओं में केमिकल मिलाया जाता है। ये केमिकल बेहद ही हानिकारक होते हैं जो हमारे शरीर में कई तरह के असर डालते हैं। हाल ही में प्रकाशित हुए एक स्टडी में इसी तरह के केमिकल को ऑटिज्म और मल्टीपल स्केलेरोसिस के लिए जिम्मेवार पाया गया है। यही नहीं इस स्टडी में ये भी खुलासा किया गया है कि आप जिस हैंंड सोप से अपने हाथों की सफाई करते हैं वो भी आपको बीमार कर सकते हैं।

क्या कहती है रिसर्च?

रिसर्च के मुताबिक ऑर्गेनोफॉस्फेट फ्लेम रिटार्डेंट्स और क्वाटरनरी अमोनियम यौगिक जैसे रसायन जिनका ज्यादातर इस्तेमाल नेल पॉलिश, बेबी वाइप्स, हैंड सोप और सफाई के रसायनों किया जाता है, उनसे दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचता है और ऑटिज्म और मल्टीपल स्केलेरोसिस का खतरा बढ़ता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

डॉ. अजय कुमार कहते हैं कि अक्सर छोटे बच्चों के मां-बाप बच्चों की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर चिंतित और परेशान रहते हैं, इसलिए छोटे बच्चों के लिए बेबी वाइप्स का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे ही हर घर में हैंड सोप का इस्तेमाल हाथों की सफाई के लिए किया जाता है, लेकिन इनमें मौजूद केमिकल ही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहे हैं।

जर्नल ऑफ नेचर न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुई रिसर्च में ये पाया गया है कि जिन बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है या जो बच्चे चलने-फिरने में असक्षम होते हैं उनके मूत्र में दो प्रकार के रसायनों का स्तर अन्य बच्चों की तुलना में बहुत अधिक पाया गया है। साथ ही रिसर्च में ये भी पता चला है कि ये रसायन दिमाग की संरचनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं जो दिमाग को ठीक से संचार और बेहतर कार्य करने में मदद करती हैं। ये क्षतिग्रस्त तंत्रिकाएं ही बच्चे में ऑटिज्म और मल्टीपल स्केलेरोसिस का कारण बनती हैं।

कौन से केमिकल हैं खतरनाक

इन दो केमिकल्स की पहचान ओएफआर और क्यूएसी के रूप में की गई है। रिसर्च के मुताबिक ओएफआर का उपयोग आमतौर पर वस्तुओं को गैर-ज्वलनशील बनाने के लिए किया जाता है और ये फर्नीचर, नेल पॉलिश, कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्रायर शीट में इस्तेमाल किया जाता है। क्यूएसी का इस्तेमाल कीटाणुओं को मारने के लिए किया जाता है और यह कई साफ सफाई के सामान, शैंपू, सनस्क्रीन और बॉडी वॉश में पाया जाता है।

इन घरेलू वस्तुओं में पाए जाने वाले केमिकल दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और चिकित्सा विशेषज्ञ, डॉ. पॉल टेसर और उनकी टीम ने आम घरेलू उत्पादों में पाए जाने वाले 1,800 से अधिक केमिकल का विश्लेषण किया है, जो ऑलिगोडेंड्रोसाइट्स, दिमाग में नसों की रक्षा करने वाली संरचनाओं को नुकसान पहुंचाने की वजह बन रहा है। इसलिए कोशिश करें इन चीजों का इस्तेमाल बच्चों के लिए जितना हो सके उतना कम करें, ताकि बच्चें इस दिमागी बीमारियों से बच पाएं।

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