Saturday, May 4, 2024
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बोर्ड परीक्षा के बचे कुछ दिन, बच्चों का बढ़ने लगा तनाव-घबराहट, विशेषज्ञों ने दिए खास टिप्स

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विडंबना है कि डाक्टर, इंजीनियर बनने जैसे सपने साकार करने के लिए लालायित बच्चे 10-12 साल से स्कूल जा रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई उनको असफलता का सामना करने का साहस नहीं सिखा पाती।

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हरियाणा। बोर्ड परीक्षा के कुछ दिन शेष बचे हैं और ऐसे में अभी से बच्चों में तनाव और घबराहट होने लगी है। खुद को बेहतर साबित करने के लिए इन परीक्षाओं में अव्वल नंबर लाने का भ्रम इस तरह बच्चों व उससे ज्यादा उनके अभिभावकों पर देखा जा रहा है कि अब ये परीक्षा नहीं, एक युद्ध सा हो गया है। बच्चों के बचपन, शारीरिक,मानसिक स्वास्थ्य की कीमत पर एक बढिय़ा नंबरों का सपना ज्ञान संसार पर भारी पड़ रहा है। विडंबना है कि डाक्टर, इंजीनियर बनने जैसे सपने साकार करने के लिए लालायित बच्चे 10-12 साल से स्कूल जा रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई उनको असफलता का सामना करने का साहस नहीं सिखा पाती।

बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस को दूर करना जरूरी

10वीं और 12वीं के सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने वाली हैं और यह एग्जाम 2 अप्रैल तक चलेगा। 19 फरवरी से दसवीं और बारहवीं की मुख्य परीक्षाएं शुरू होंगी और इस वजह से बच्चे दिनभर बैठकर पढ़ रहे हैं। देखा जाये तो परीक्षा देने जा रहे बच्चे खुद याद करने से ज्यादा इस बात से चिंतित दिखते हैं कि उनसे बेहतर करने की संभावना वाले बच्चों ने ऐसा क्या रट लिया है, जो उन्हें नहीं आता। असल में प्रतिस्पर्धा के असली मायने सिखाने में पूरी शिक्षा प्रणाली असफल ही रही है। अपनी क्षमता के अनुरूप सबसे बेहतर करूं यही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, लेकिन आज की प्रणाली दूसरों से तुलना में अपनी क्षमता आंकने का पाठ पढ़ाती है। ऐसे में बतौर अभिभावक आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि आप अपने बच्चे को तनाव से दूर रखने में उसकी मदद करें। अगर आपका बच्चा भी परीक्षा के तनाव से जूझ रहा है, तो आप कुछ टिप्स की मदद से उसकी सहायता कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस को दूर करने के टिप्स के बारे में।

नंबरों की दौड़ नहीं बच्चे का तनाव मैनेज कीजिये

बारहवीं बोर्ड के परीक्षार्थी बेहतर स्थानों पर प्रवेश के लिए चिंतित हैं, तो दसवीं के बच्चे अपने पसंदीदा विषय पाने के दबाव में। दूसरी ओर हैं मां-बाप के सपने। बचपन, शिक्षा, सीखना सब कुछ इम्तिहान के सामने गौण है। नंबरों की दौड़ में सब कुछ दांव पर लग गया है। क्या किसी बच्चे की योग्यता का पैमाना महज अंकों का प्रतिशत है? वह भी उस परीक्षा प्रणाली में, जिसकी मूल्यांकन प्रणाली संदेहों से घिरी है। मूल्यांकन का आधार बच्चों की योग्यता न हो कर उसकी कमजोरी है। बच्चों के लिए स्कूली बस्ते के बोझ से अधिक बुरा है न समझ पाने का बोझ। अव्वल आने की दौड़ में न जाने कितने बच्चे कुंठा का शिकार होकर अतिवादी कदम उठा चुके हैं। अगर आपका बच्चा परीक्षा के कारण तनाव में है, तो उससे बात करें। पेरेंट्स को बच्चे के लिए सपोर्ट सिस्टम की तरह होना चाहिए। अगर आपका बच्चा स्ट्रेस या डरा हुआ है, तो उसे समझाएं कि यह एक बेहद सामान्य बात है। आपको बच्चे से बात करके परीक्षा के तनाव को मैनेज करने में मदद करनी चाहिए।

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कम करें

सीबीएसई बोर्ड के संयुक्त सचिव रणबीर सिंह के अनुसार बोर्ड परीक्षा नजदीक है, लेकिन घबराएं नहीं और आत्मविश्वास के साथ पढा़ई करें। प्रश्नपत्र में जो प्रश्न सरल हैं उन्हें पहले हल करें। एक प्रश्न में अधिक समय न लगाएं। इसके अलावा परीक्षा में व्हाट्सएप के मैसेज वाली शॉर्ट लैंग्वेज का उपयोग न करें। अपने काम पर फोकस करते हुए आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें लेकिन टेक्नोलॉजी को अपना समय दान न करें। मोबाइल का अधिक उपयोग तनाव ग्रस्त बनाता है। मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करेंगे तभी हर चीज को सही समय पर कर सकेंगे।

बच्चों को संस्कार दें

अपने बच्चों को संस्कार का विजिटिंग कार्ड दीजिए। संस्कार बच्चों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। अभिभावक अपने बच्चों को समय दें और उन्हें अपने संघर्ष के साथ ही तीन पीढ़ियों के संघर्ष से रूबरू करवाएं। आपका बच्चा आपके संघर्ष से रूबरू होगा तो वह आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा। बच्चों से भी कहा कि दुनिया में अपने माता-पिता और गुरु को सर्वोपरि मानिए। मानसिक तनाव से बचने के लिए बच्चों को धर्म और ग्रंथों का ज्ञान होना जरूरी है। सुबह शाम गायत्री मंत्र पढ़ना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इससे बच्चों का विश्वास और स्वाभिमान मजबूत होगा।

बच्चों को प्यार से ट्रीट करें

बच्चों को डांटने की बजाय उन्हें प्यार से ट्रीट करें। अपने बच्चे की दूसरे बच्चे से तुलना न करें। आपका बच्चा अगर सुबह उठकर पढ़ रहा है तो आपको भी साथ देना होगा। बच्चे को रात में 11 बजे तक सुला दें और सुबह पांच बजे उठा दें। इसके अलावा मान लो अगर बच्चे को गणित का सवाल नहीं आ रहा है तो दीक्षा पोर्टल पर जाकर बच्चे सवाल का जवाब ले सकते हैं। इसके अलावा यूट्यूब देख सकते हैं और स्कूल के टीचर से व्हाट्सएप पर बात करके अपनी समस्या सुलझा सकते हैं।

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ें एनसीईआरटी

जो छात्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं वह घबराएं नहीं। अगर छात्रों ने 11वीं और 12वीं की एनसीईआरटी की किताबें सही से पढ़ी हैं तो कोई भी प्रतियोगी परीक्षा हल कर सकते हैं। दूसरा परीक्षा के दौरान कई घरों का माहौल असामान्य हो जाता है। माता-पिता पहले से ज्यादा सावधान हो जाते हैं। हर चीज़ में बच्चों को समझाने लगते हैं। बच्चों का टीवी देखना, मोबाइल चलाना और बाहर जाना बंद कर देते हैं। इस तरह के माहौल से बच्चे परेशान हो जाते हैं, वे ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते और परीक्षा में गलती हो जाती है। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे बच्चों के सामने सामान्य रूप से पेश आएं।

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