UP News : सिर्फ नासिक (महाराष्ट्र) ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी आप उगा सकते हैं अंगूर। कई लोग अपने किचन गार्डन में सफलतापूर्वक ऐसा कर भी रहे हैं। आपको बस एक्सपर्ट की सलाह से उचित प्रजाति का चयन करना है। साथ ही बेहतर फलत के लिए उचित समय पर उचित तरीके से काट-छांट करना है।
तो फिर किचन गार्डन या खेत में अंगूर लगाकर, कुछ साल बाद इसके मिठास का भी आनंद ले सकते हैं। इसके सेवन से इसमें होने वाले औषधीय गुणों का लाभ मिलना स्वाभाविक है। यही नहीं, स्थानीय स्तर पर तैयार ताजे अंगूर के दाम भी बेहतर मिलेंगे। वाजिब दाम मिलने से किसान भी खुशहाल होंगे।
जूस, जैम, जेली और किशमिश भी बना सकते
चाहें तो अंगूर को प्रसंस्कृत कर आप जूस, जैम, जेली और किशमिश भी बना कर लंबे समय तक इसका उपयोग कर सकते हैं। ताजे फलों के अलावा हर घर में जूस, जेली और जैम की भी खासी डिमांड रहती है। और, किशमिश तो सूखे मेवे की थाली का अभिन्न हिस्सा है।
योगी सरकार खेतीबाड़ी में प्रयोग में आने वाले कृषि यंत्रों, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सक्षम सिंचाई सुविधाओं के लिए भारी भरकम अनुदान भी दे रही है। किसान इसका भी लाभ उठा सकते हैं।
यूपी के लिए फ्लेम सीडलेस सबसे उचित प्रजाति
उत्तर प्रदेश के लिए अंगूर की फ्लेम सीडलेस सबसे उपयुक्त प्रजाति है। इस प्रजाति की तलाश के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से संबद्ध केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने वर्षों तक कई अंगूर की प्रजातियों पर ट्रायल किया उसके बाद सीडलेस फ्लेम को सबसे उपयुक्त माना गया।
साइज और स्वाद दोनों बेहतरीन
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक सुशील कुमार शुक्ला के अनुसार, पकने पर सीडलेस फ्लेम अंगूर का रंग कुछ लाल होता है। मिठास और साइज दोनों बेहतरीन है। फल मई से आने शुरू हो जाते हैं और बारिश के सीजन के पहले तक लगभग खत्म हो जाते हैं।
यूपी के साथ उत्तर भारत के लिए उपयुक्त है ये प्रजाति: टी दामोदरन
उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान के निदेशक टी दामोदरन के प्रोत्साहन और प्रेरणा से संस्थान में मदर ग्राफ्ट से पौधे तैयार हैं। इच्छुक लोग या किसान इसे ले सकते हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे उत्तर भारत में इस प्रजाति के अंगूर की खेती की जा सकती है। वह चाहते भी हैं कि किसान आमदनी बढ़ाने के लिए अंगूर की खेती भी शुरू करें।
जुलाई-अगस्त रोपण का उपयुक्त समय
इसकी बेल के रोपण का सबसे उचित समय जुलाई-अगस्त है। जाड़े में बेल की कटिंग की जाती है। फूल और फल बेहतर आएं इसके लिए कटिंग कैसे करें, इस बाबत एक्सपर्ट्स से सलाह जरूर लें। चूंकि इसकी खेती के लिए मजबूत मचान का स्ट्रक्चर बनाना होता है। पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी तीन से साढ़े तीन मीटर रखनी होती है। लिहाजा मचान के नीचे सूरन, हल्दी, अरबी या छाए में होने वाली कम समयावधि की अन्य फसलों की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
अंगूर के औषधीय गुण
अंगूर में विटामिन-सी, पोटैशियम, कैल्शियम जैसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें फ्लेवोनॉयड्स और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। अंगूर में उपलब्ध फाइबर सूजन को कम करता है। यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में भी मददगार है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड्स हृदय रोगों के खतरे कम करता है। लाल अंगूरों में हरे की तुलना में ज़्यादा एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। फ्लेम सीडलेस का रंग पकने पर लाल ही होता है। अंगूर में मौजूद फाइबर, कब्ज़ से राहत दिलाता है और आंतों में लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ाता है। अंगूर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए मधुमेह के मरीज भी चिकित्सक की संस्तुति के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद फाइबर से भूख कम लगती है। लिहाजा यह वजन कम करने में भी मददगार है। हड्डियों की मजबूती, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बेहतर नींद में भी यह मददगार है।