Friday, November 22, 2024
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हेल्थ ड्रिंक नहीं माना जाएगा बॉर्नविटा, जानें सरकार ने क्यों लिया ये बड़ा फैसला

नई दिल्ली। बॉर्नविटा नाम से हर कोई वाकिफ होगा। बच्चों का यह पसंदीदा ड्रिंक माना जाता है। लेकिन अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार के अनुसार अब बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक नहीं माना जाएगा। कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट को अपने प्लेटफार्म से बॉर्नविटा को ड्रिंक और बेवरेज की हेल्थ ड्रिंक की कैटेगरी से हटाने के लिए कहा गया है। ई कॉमर्स कंपनियों को यह निर्देश वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी किया गया है।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा तय नियमों और रेगुलेशन के तहत हेल्थ ड्रिंक की कोई परिभाषा तय नहीं की गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तहत गठित एक समिति ने सीपीसीआर अधिनियम 2005 की धारा 14 के तहत अपनी जांच की। इसके बाद यह तय किया गया कि एफएसएस अधिनियम के तहत किसी भी हेल्थ ड्रिंक को डिफाइन नहीं किया गया है।

NCPCR की रिपोर्ट से उठे हेल्थ ड्रिंक्स पर सवाल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (NCPCR) ने कहा है कि FSSAl और मॉन्डेलेज इंडिया फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक एफएसएस एक्ट 2006 के तहत किसी भी ड्रिंक को हेल्थ ड्रिंक के तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है।

पहले भी कुछ ड्रिंक्स इस श्रेणी से हटाए गए थे

वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि सभी ई-कॉमर्स वेबसाइटों को सलाह दी गई है कि वे अपने प्लेटफॉर्म से बॉर्नविटा सहित अन्य पेय पदार्थों को ‘स्वास्थ्य पेय’ श्रेणी से हटा दें। कुछ दिनों पहले FSSAl द्वारा ई-कॉमर्स वेबसाइटों को डेयरी, अनाज या माल्ट-बेस्ट ड्रिंक्स को ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ या ‘एनर्जी ड्रिंंक्स’ की श्रेणी से हटाने के लिए कहा गया था।

गलत नाम के इस्तेमाल से गुमराह हो सकते हैं उपभोक्ता

फूड सेफ्टी बॉडी ने कहा था कि ‘हेल्थ ड्रिंक्स ‘ को कानूनों में परिभाषित नहीं किया गया है। कानून के मुताबिक ‘एनर्जी ड्रिंक’ केवल स्वादयुक्त वाटर बेस्ड ड्रिंक्स हैं। ऐसे में इनके लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल करने पर उपभोक्ता गुमराह हो सकते हैं। ई कॉमर्स और कंपनी की वेबसाइट से ऐसे विज्ञापनों को हटाने के लिए कहा जा सकता है जिनमें ड्रिंक्स एंड बेवरेज को हेल्थ या एनर्जी ड्रिंक बताया गया है।

NCPCR भेज चुका है नोटिस

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पिछले साल बोर्नविटा बनाने वाली कंपनी मोंडेलेज इंटरनेशनल इंडिया लिमिटेड को नोटिस भेजा था। उसमें कहा गया था कि इस प्रोडक्ट में काफी मात्रा में शुगर होने की शिकायत है। कुछ ऐसे तत्व भी हैं जो बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लिहाजा कंपनी अपने प्रोडक्ट के सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल की समीक्षा करे और उन्हें वापस लें।

मार्केट स्टडी के अनुसार बताया है कि इंडियन एनर्जी ड्रिंक और स्पोर्ट्स ड्रिंक का वर्तमान में मार्केट साइज 4.7 बिलियन डॉलर है, जो 2028 तक 5.71% की CAGR ग्रोथ के साथ से बढ़ने की उम्मीद है। बॉर्नविटा सहित अन्य पेय पदार्थों को हेल्थ ड्रिंक्स की कैटेगिरी से हटाने के बाद एक सवाल जो लोगों के मन में है कि क्या चॉकलेट पाउडर डालकर दूध बच्चों को पिलाना हेल्दी है। क्या बच्चों को वाकई इसकी जरूरत होती है, ज्यादा देने से कोई बीमारी तो नहीं होती। इस पर एक्सपर्ट के अनुसार, चॉकलेट पाउडर के नुकसान पर कोई खास रिसर्च नहीं हुई। अगर यह पाउडर अच्छी कंपनी ने बनाई है तो उससे ज्यादा नुकसान नहीं है। बड़ी कंपनियां इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन को ध्यान में रखकर ही इसे बनाती हैं।

ज्यादा शक़्कर करती है नुकसान

हालांकि पेरेंट्स को चॉकलेट पाउडर बच्चों को देते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे- इसे खरीदते वक्त पेरेंट्स को इनके डिब्बे या पैकेट के पीछे लिखे इंग्रेडिएंट्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए। बच्चे को एक दिन में कितने बार और किस मात्रा में चॉकलेट पाउडर देना इसकी भी लिमिट तय करनी चाहिए। ऐसा नहीं कि आप कटोरी में बच्चे को चॉकलेट पाउडर खाने को पहले दे दें। फिर उन्हें दिनभर में दो-तीन बार दूध पीने को दें। जितनी बार दूध देंगे उसमें शक्कर डालेंगे जो नुकसान करेगीI साथ अगर आप चॉकलेट पाउडर या दूसरे आर्टिफिशियल फ्लेवर मिला रहे हैं तो उसमें भी चीनी होगी, जो अनहेल्दी है।

बच्चों को ये हो सकते हैं नुकसान

वैसे भी शक्कर में कार्बोहाइड्रेट होता है, यह बच्चों को नॉर्मल खाने से मिल जाता है, ऐसे में एक्स्ट्रा कार्ब लेने के लिए सप्लिमेंट की जरूरत नहीं। ज्यादा मीठी चीज खाने-पीने बच्चों को नुकसान हो सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। डायबिटीज हो सकती है। अल्जाइमर का खतरा हो सकता है। दांत में कैविटीज की समस्या हो सकती है। चीनी का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इससे याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। चीनी खाने से वाइट ब्लड सेल्स 50 फीसदी तक कमजोर होते हैं। इससे इम्यूनिटी वीक हो जाती है। नॉन अल्कोहल फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इससे लिवर में फैट स्टोर होता है।

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