Stubble burning, पंजाब में हर साल धान की कटाई के बाद उसके अवशेष या बची हुई अतिरिक्त पराली को किसान जला देते हैं। इस घटना से वायु प्रदुषण और बीमारियों को वहीं निमंत्रण मिलता है जहां प्रदूषण फैलता है।
पंजाब सरकार ने पराली जलाने के मामले पर काबू पाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके।
इस बार किसानों द्वारा पराली प्रबंधन के लिए अनुदानित उपकरण खरीदने के लिए 1235 आवेदन किसानों द्वारा दिए गए, जिनमें से 500 से अधिक किसानों को सब्सिडी पर पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी उपलब्ध कराई गई है।
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इस संबंध में कृषि विभाग के विशेषज्ञ टीमें बनाकर गांवों में बड़े पैमाने पर किसानों को जानकारी दे रहे हैं, ताकि वे धान की पराली न जलाएं, क्योंकि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है।अस्थमा के मरीज और नेत्र रोग की संभावना भी बढ़ जाती है।
कृषि अधिकारी हसन सिंह का कहना है कि बठिंडा के विभिन्न गांवों में कलस्टर बनाकर गांवों के किसानों को पराली जलाने के संबंध में जानकारी दी जा रही है और जिनके पास कृषि उपकरणों की कमी है, उन्हें कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं।