Cipla: भारत की मशहूर दवा कंपनी सिप्ला (Cipla) बिकने के कगार पर पहुंच गई है। इस बात की जानकारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने दी। उन्होंने कहा कि वो देश की प्रमुख दवा कंपनी सिप्ला के ‘ब्लैकस्टोन’ द्वारा ‘अधिग्रहण’ को लेकर दुखी होना चाहिए। यह दवा कंपनी देश के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का हिस्सा रही है।
Cipla की 33.47 प्रतिशत हिस्सेदारी बिकेगी
दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड (Private Equity Fund) ‘ब्लैकस्टोन’ (Blackstone) सिप्ला के प्रमोटर की 33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के बोली लगायेगा। जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि ‘यह जानकर दुख हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड (Private Equity Fund) ‘ब्लैकस्टोन’ (Blackstone) देश की सबसे पुरानी दवा कंपनी सिप्ला में पूरी 33.47 प्रतिशत की प्रवर्तक की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है। सिप्ला की स्थापना 1935 में ख्वाजा अब्दुल हामिद द्वारा की गई थी, जिन पर महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का गहरा प्रभाव था। उन्होंने सीएसआईआर के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
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जयराम रमेश ने ट्वीट में आगे लिखा कि सिप्ला जल्द ही भारतीय राष्ट्रवाद का एक चमकदार उदाहरण बनकर उभरा। उनके बेटे यूसुफ हामिद ने सिप्ला को कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाया और अमेरिकी, जर्मन और ब्रिटिश एकाधिकार तथा पेटेंट धारकों को सफलतापूर्वक चुनौती दी।
यूसुफ हामिद ने कई अन्य भारतीय कंपनियों के लिए अलग-अलग देशों में खुद को स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया। वह सबसे आकर्षक और दिलचस्प व्यवसायियों में से एक हैं जिन्हें जानने का मुझे सौभाग्य मिला है।
जयराम रमेश ने कहा, सिप्ला भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का एक अभिन्न अंग है और ब्लैकस्टोन द्वारा इसके तुरंत अधिग्रहण से सभी को दुखी होना चाहिए।