Jalandher उपचुनाव अब दिलचस्प मोड़ ले रही है. पंजाब की राजनीति के महान योद्धा मानें जाने वाले राणा गुरजीत सिंह को कांग्रेस हाईकमान ने जालंधर लोकसभा उपचुनाव का इंचार्ज बना दिया है, लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि राणा गुरजीत सिंह के शिष्य कहे जाने वाले सुशील रिंकू आप के साथ जूड चूके है. जिसके बाद गुरू बने राणा गुरजीत सिंह के लिए संकट तो खड़ी हो चूकी है, क्योंकि उन्ही का शिष्य रिंकू अब मैदान में आमने सामने खड़े है वो भी विरोधी पार्टी बन कर.
राणा गुरजीत सिंह ने रिंकू को राजनीति के तमाम दांव व पेंच सिखा रखे हैं फिलहाल तो रिंकू ने भी उनके पैंतरों का इस्तेमाल कर जालंधर से आम आदमी पार्टी की टिकट हासिल कर ली है. अब देखने वाली बात तो यह है कि इस मैदानी जंग में गुरू और चेला क्या दांव- पेंच चलेगें.
आपको बता दें कि राणा गुरजीत राजनीति के ऐसे माहिर माने जाते हैं कि पिछले साल 2022 में 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा एक मात्र आजाद उम्मीदवार उनके बेटे राणा इंद्रप्रताप सिंह ही जीत पाए थे. राणा इंद्रप्रताप सिंह ने सुल्तानपुर लोधी में कांग्रेस के उम्मीदवार नवतेज चीमा को पटखनी दी थी.
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दरअसल, जालंधर में आप से लोकसभा के उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू व कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह की बीच मित्रता किसी से छिपी नहीं है. हमेशा राजनीति में इनके दोस्ती के किस्से सुनने को मिलते रहते है. राणा गुरजीत सिंह ने हमेशा रिंकू को अपना बेटा कहकर पुकारा है और हमेशा उसको राजनीति में अपने साथ रखा है. जानकारी के अनुसार रिंकू पहले कांग्रेस के पार्षद होते थे, जिन्होंने जालंधर वेस्ट से टिकट लेने के लिए जोर लगा रखा था.