गरिमा टाइम्स न्यूज.रोहतक। शहर में जगह जगह सीवर की समस्या से आमजन काफी परेशान हो चुका है। जनस्वास्थ्य विभाग इस व्यवस्था को बनाए रखने में खरा नहीं उतर पा रहा है। क्योंकि डेयरियों से निकलने वाला गोबर तक सीवरों में बहा दिया जाता है। ऐसे में सीवर पूरी तरह से ब्लाक होने के कारण दूषित पानी गलियों में बहता रहता है। इस समस्या के हल के लिए विभाग की तरफ से डीपीआर तैयार कर मुख्यालय भेजी जा चुकी है। इस एसटीपी को अब 40 एमएलडी से 60 एमएलडी किया जाएगा। ताकि शहर की सीवर व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सकें।
अपफ्लो एनारोबिक कीचड़ कंबल (यूएएसबी) तकनीक से चलने वाला 40 एमएलडी एसटीपी एनजीटी के नियमों को पूरा नहीं कर रहा है। क्योंकि एसटीपी पर गोबर की मात्रा ज्यादा आने के कारण बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा 30 एमएल ली जाती है और केमिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा 50 एमएल तक ली जाती है जबकि एनजीटी के आदेश के बाद यह मात्रा 30 की जगह 10 और 50 की जगह 30 एमएल होनी चाहिए। इसी के चलते इसकी डीपीआर तैयार कर मुख्यालय भेजी गई है।
नई डीपीआर में 40 एमएलडी एसटीपी को 60 एमएलडी तक बढ़ाया जाएगा और इसे नई तकनीक बायोलॉजिकल न्यूट्रेट रिमूवल ट्रीटमेंट के तहत चलाया जाएगा। इसके तहत ट्रीटमेंट होने वाले पानी को सिंचाई में भी प्रयोग किया जा सकता है। 60 एमएलडी होने के बाद शहर की ढाई लाख से ज्यादा की आबादी को इसका फायदा मिलेगा। जल्द अप्रूवल पर इसके अपग्रेडेशन का काम शुरू होगा।