गरिमा टाइम्स न्यूज.रोहतक। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने फैसला दिया है कि स्वास्थ्य बीमा कंपनी यह कहकर क्लेम देने से इन्कार नहीं कर सकती कि उसे पूरे कागजात जमा नहीं करवाए गए, जबकि कंपनी ने अच्छी तरह से रिकार्ड की जांच की है। ऐसे में कंपनी शिकायतकर्ता सुदेश को 73 हजार 50 रुपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाए। साथ ही 5 हजार रुपये हर्जाने व 5 हजार कानूनी खर्च के तौर पर दे।
पोलंगी गांव निवासी सुदेश ने दिसंबर 2020 में अर्जी दायर की थी कि उसने मार्च 2014 में स्वास्थ्य बीमा करवाया था। इसके लिए पॉलिसी प्रीमियम के तौर पर 13 हजार 719 रुपये भी जमा करवाए। मार्च 2020 में उसे उपचार के लिए निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां पांच दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई। उसके उपचार पर 73 हजार 050 रुपये खर्च हुए। उसने स्वास्थ्य बीमा कंपनी को समय पर कागजात जमा करवाकर क्लेम मांगा, लेकिन बीमा कंपनी ने इन्कार कर दिया। ऐसे में उसे मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। उसे न केवल बीमा राशि दिलवाई जाए, बल्कि मानसिक उत्पीड़न करने पर 3 लाख रुपये हर्जाना व कानूनी खर्च के तौर पर 22 हजार रुपये दिलवाए जाएं। आयोग ने बीमा कंपनी को नोटिस दिया।
कंपनी का आरोप दस्तावेजों में कई विसंगतियां मिली
कंपनी ने कहा कि दस्तावेज में कई विसंगतियां मिलीं, इसलिए कैशलेस सुविधा नहीं दे सके। साथ ही जांच से लग रहा है कि शिकायतकर्ता अस्पताल में केवल जांच कराने आई थी। ऐसे में अर्जी खारिज की जाए। कंपनी ने केवल कैशलेस सुविधा देने से इन्कार किया था। ऐसे में शिकायतकर्ता को क्लेम राशि व्याज सहित दी जाए।