पंजाब में एक चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत देते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) चुनावों के लिए पंजीकरण करने वाले केशधारी (बिना मुंडा) सिखों की संख्या में 2011 के बाद से लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई है।
गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा मतदाता पंजीकरण की अंतिम तिथि दो बार बढ़ाने के बावजूद, गुरुवार तक पंजीकरण की कुल संख्या 27.45 लाख थी। साल 2011 में जब शिरोमणि कमेटी के पिछले चुनाव हुए थे तो पंजाब से 52 लाख से ज्यादा वोटर थे। मतदाता पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है।
सिख विशेषज्ञों ने इस प्रवृत्ति के लिए सिखों के बीच शिरोमणि कमेटी के घटते महत्व के साथ-साथ धर्मांतरण, प्रवासन और पंजाब में पनप रही डेरा संस्कृति के प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं शिरोमणि कमेटी ने कहा कि उदासीनता किसी भी बात का समाधान नहीं है और सिखों को अपने धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।
अंग्रेजी पोर्टल ‘द प्रिंट’ द्वारा चंडीगढ़ के गुरुद्वारा चुनाव आयोग से जुटाए गए आंकड़ों की जारी रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं की संख्या करीब 15 लाख है जबकि बाकी 12.45 लाख पुरुष हैं। सामान्य वर्ग के मतदाता 22 लाख से अधिक हैं जबकि शेष अनुसूचित जाति के हैं। अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 5.4 लाख से अधिक है, जिनमें महिलाओं की संख्या 3 लाख है।
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नौशेरा चुनाव में 4,000 से भी कम वोट दर्ज किए गए हैं, इसके बाद बालाचौर में 7,000 सिख मतदाता के रूप में पंजीकृत हुए हैं। खडूर साहिब सीट पर 8,355, कोटकपुरा (11,400), करतारपुर (11,450), आदमपुर (11,700) और मोगा (12,000) वोट दर्ज किए गए हैं।
सबसे ज्यादा मतदाता धारीवाल में पंजीकृत हैं जहां यह संख्या करीब 65,000 तक पहुंच गई है. श्री हरगोबिंदपुर लगभग 58,500 मतदाताओं के साथ दूसरे स्थान पर है। डेरा बाबा नानक (55,000), गुरदासपुर (54,000), काला अफगाना (49,500), भदौड़ (47,000), आनंदपुर साहिब (46,500), बरनाला (44,000) और चन्ननवाल (43,000) में भी बड़ी संख्या में पंजीकृत मतदाता हैं।