वेटलैंड्स इको टूरिज्म, वन एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री लाल चंद कटारुचक ने राज्य की आर्द्रभूमियों में पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। आज सेक्टर-68 स्थित वन परिसर में पंजाब राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्री ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वेटलैंड के विकास को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इसके अलावा मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को वन क्षेत्रों में खनन पर सख्ती से नकेल कसने का भी निर्देश दिया।
मंत्री को आगे बताया गया कि जैव विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए वेटलैंड्स बचाओ अभियान के हिस्से के रूप में, पंजाब में 1381 आर्द्रभूमियों की पहचान की गई है, जिनमें से 414 प्राकृतिक हैं और 967 मानव निर्मित हैं और प्रत्येक आर्द्रभूमि 2.25 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है।
इसके अलावा, लगभग 2300 वेटलैंड मित्र (स्वयंसेवक) वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं और लोगों को वेटलैंड्स को संरक्षित करने की आवश्यकता और उनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
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इतना ही नहीं, प्रदेश में आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. भारत, पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर पीएयू लुधियाना, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुधियाना) और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के साथ सहयोग।
इसके अलावा, मंत्री के ध्यान में यह भी लाया गया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पंजाब के 7 वेटलैंड्स रंजीत सागर बांध कंजर्वेशन रिजर्व, ब्यास नदी कंजर्वेशन रिजर्व, कांजिली वेटलैंड, हरिके वेटलैंड, रोपड़ वेटलैंड को नामित किया है। कंजर्वेशन रिजर्व, नंगल वेटलैंड और केशोपुर-मियानी वेटलैंड के आसपास के 100 मीटर के क्षेत्र को अयोग्यता क्षेत्र घोषित करने के विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।