Wednesday, May 8, 2024
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जानिए कब है वट सावित्री व्रत

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Vat Savitri Vrat 2023: हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि को वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) रखा जाता है। पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और बरगद के पेड़ की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

वट सावित्री व्रत तिथि (Vat Savitri Vrat 2023) 

इस साल वट सावित्री अमावस्या 19 मई 2023 को है, वहीं वट सावित्री पूर्णिमा 3 जून 2023 को है। इस बार  ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 मई 2023 रात को 09 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जायेगा।

वहीं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 3 जून 2023 को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से होगा और इसका समापन 4 जून 2023 सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में यह व्रत 3 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा।

वट सावित्री व्रत की पूजा मुहूर्त

वट सावित्री अमावस्या के दिन सुबह 07.19 से सुबह 10.42 तक पूजा का मुहूर्त है जबकि वट सावित्री पूर्णिमा वाले दिन विवाहित महिलाएं सुबह 07.16 से सुबह 08.59 तक कर सकती हैं।

बता दें कि पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा और बिहार में वट सावित्री अमावस्या (ज्येष्ठ अमावस्या) के दिन व्रत रखा जाता है। वहीं महाराष्ट्र और गुजरात में वट सावित्री पूर्णिमा (ज्येष्ठ पूर्णिमा) पर ये व्रत रखने की परंपरा है।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि 

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। माना जाता है कि बरगद के पेड़ में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके नए कपड़े पहने और सोलाह श्रृंगार करें। इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को किसी थाली में सजाकर वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के पास पहुंच जाएं। वट सावित्री व्रत की पूजा बरगद के पेड़ के पास ही की जाती है। जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री व्रत रख रहीं है उन्हे कपड़े से बना दूल्हा-दुल्हन का जोड़ रखकर पूजा करना चाहिए। कपड़े का जोड़ा उपलब्ध न हो तो मिट्टी से बनी दुल्हा दूल्हन का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं।

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सबसे पहले बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्यवान की तस्वीर रख लें और रोली, भीगे चने, अक्षत, कलावा, फूल, फल सुपारी, पान, मिष्ठान और बाकी चीजें अर्पित करें। इसके बाद बांस के पंखे से हवा करें। इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा करें। इसके लिए कच्चा धागा लेकर वृक्ष के 5 से 7 बार परिक्रमा कर सकते हैं। फिर वहीं, वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री सत्यवान की कथा सुने। फिर अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करें। इसके बाद चने के प्रसाद दूसरों को दें।

 

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